नई दिल्ली : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आज 152 वां जन्म दिवस है। गांधी ने पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा का शिक्षा दी है। उन्होंने न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया को अहिंसा के जरिए सफल आंदोलन का रास्ता दिखाया । उनका प्रभाव ऐसा है कि आज भी उनके दिखाए गए रास्तों से लोग प्रेरणा लेते हैं। हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और मोदी की बातचीत में महात्मा गांधी का जिक्र आया। जिसमें दोनों नेताओं ने यह माना कि आज की दुनिया को महात्मा गांधी के अहिंसा, सम्मान, सहिष्णुता के संदेश की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। यही नहीं आज भी महात्मा गांधी के दिखाए रास्ते पर चलकर लोग दुनिया में आंदोलन करते हैं।
अभी 4 साल पहले 21 जनवरी, 2017 को, अमेरिका के वाशिंगटन में हुआ महिला मार्च , अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा मानवाधिकार विरोध प्रदर्शन था। जिसमें 500 से अधिक शहरों में करीब 33 लाख प्रदर्शनकारियों ने भाग लिया था। इस पूरे मार्च में एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई और न ही हिंसा का एक मामला सामने आया था। यह पूरा आंदलोन महात्मा गांधी और उनको अपना गुरू मानने वाले मार्टिन लूथर किंग जूनियर के अहिंसक सविनय अवज्ञा के दर्शन पर निहित था।
महात्मा गांधी का ऐसा प्रभाव रहा है कि न केवल उन्होंने भारत में अपने सविनय अवज्ञा आंदोलन के मॉडल से अंग्रेजों को झुकाया, बल्कि उनसे प्रेरणा लेकर दुनिया के कई देशों में ऐसे आंदोलन हुए। अमेरिका में मार्टिन लूथ किंग जूनियर के अलावा जेम्स लॉसन, जेम्स बीवेल जैसे मानवाधिकार आंदोलन के नेता, गांधी से प्रभावित थे। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला, स्टीव बिको, म्यांमार में आंग सू की, सोमाली लैंड के फराह उमर जैसे लोग गांधी के दर्शन और अहिंसावादी आंदोलन से प्रभावित थे। सितंबर 2009 में जब बराक ओबामा से पूछा गया कि ऐसा कौन सा जीवित या मृत व्यक्ति है, जिसके साथ अगर आपको मौका मिले तो डिनर करना चाहेंगे। तो उन्होंने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए था, उन्हें अपने जीवन में सबसे बड़ी प्रेरणा महात्मा गांधी से मिली।
टाइम पत्रिका ने इन लोगों को बताया था गांधी का बच्चे
टाइम पत्रिका ने 1999 के आखिरी अंक में गांधी को 100 साल के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक माना था। और लिखा था कि गांधी ने दुनिया को जो सविनय अवज्ञा की राह दिखाई है। उस शिक्षा को इन बच्चों ने आगे बढ़ाया है। इसी के तहत मैगजीन ने 14वें दलाई लामा, लेच वैसा, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, सीजर शावेज, आंग सू की, बेनिग्नो एक्विनो जूनियर, डेसमंड टूटू और नेल्सन मंडेला को गांधी के बच्चे और अहिंसा का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बताया था।
सूत कातती तस्वीर भी सबसे प्रभावशाली
इस तरह 1946 में महात्मा गांधी की चरखा चलाती तस्वीर को टाइम मैगजीन ने 100 साल की सबसे प्रभावशाली तस्वीरों में से एक माना था। उसके अनुसार, यह तस्वीर उनमें से एक थी, जिन्होंने दुनिया को बदल दिया। चरखे के जरिए गांधी ने स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया और भारत के लोगों में देश भक्ति की भावना जगाने और लोगों को एक सूत्र में पिरोने में भी अहम भूमिका निभाई।
5 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित, 40 साल बाद नोबेल कमेटी ने मांगी माफी
महात्मा गांधी ऐसे शख्स थे, जिन्हें दुनिया भर में प्रेरणा का स्रोत माना जाता है। 5 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित होने के बावजूद, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नहीं चुना गया। महात्मा गांधी को 1937, 1938,1939,1947 और अंत में, जनवरी 1948 में उनकी हत्या से कुछ दिन पहले नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। लेकिन उन्हें पुरस्कार नहीं मिला। बाद में 1989 में दलाई लामा को शांति पुरस्कार से सम्मानित करते वक्त नोबेल समिति सदस्यों ने इस चूक पर सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त किया और कहा कि दलाई लामा को पुरस्कार "महात्मा गांधी की स्मृति में एक श्रद्धांजलि है"।
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