देश इस साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएगा। उससे पहले हम गांधी को लेकर आपके लिए काफी सामग्री ला रहे हैं, जिससे आप उन्हें और उनके विचारों को और ज्यादा जान सकें। हम लेख में हम चरखे को लेकर गांधी के विचारों के बारे में बताएंगे। बापू चरखे को सिर्फ सूत काटने का यंत्र नहीं बल्कि परिवर्तन के लिए एक दिव्य हथियार मानते थे। बापू एटम बम को राक्षसी और चरखे को दैवीय शस्त्र मानते थे। बापू ने कहा था कि चरखे में इतनी शक्ति है कि ये हिंदुस्तान को आजादी दिला सकता है। बापू ने चरखा को बलिदान का प्रतीक बताया।
अपने अंतिम जन्मदिन पर राष्ट्रपिता गांधी ने अपने चरखे, प्रार्थना और उपवास के साथ दिन बिताया। उनका प्रतिष्ठित चरखा शांति और अहिंसा का प्रतीक था और वो कहते थे कि उपवास हृदय और आत्मा को शुद्ध करने का सबसे आसान तरीका है। मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। राष्ट्रपिता गांधी अहिंसा के सबसे बड़े समर्थक रहे हैं। इसी वजह से 2 अक्टूबर को उनके जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। 30 जनवरी 1948 को गांधी दुनिया छोड़कर चले गए, लेकिन उनके विचार हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए।
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