विश्वविद्यालय के नियमों में करें संशोधन खुद बन जाएं चांसलर, सीएम पी विजयन पर केरल के गवर्नर भड़के

केरल के विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों के मामले में विवाद उठ खड़ा हुआ है। गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सीएम पी विजयन को नियमों में संशोधन कर खुद चांसलर बन जाना चाहिए और उसके बाद अपने हिसाब से वो नियुक्तियां करें।

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विश्वविद्यालय के नियमों में करें संशोधन खुद बन जाएं चांसलर, सीएम पी विजयन पर केरल के गवर्नर भड़के 
मुख्य बातें
  • अगर पी विजयन को विश्वविद्यालयों में राजनीतिक नियुक्ति करनी है तो खुद चांसलर बन जाएं
  • गैर शैक्षणिक लोगों को शैक्षणिक मुद्दे पर निर्णय नहीं लेना चाहिए
  • केरल के सीएम पी विजयन पर गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान भड़के

केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान और सीएम पी विजयन आमने सामने हैं, मामला विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों से जुड़ा हुआ है। केरल सरकार के कुछ फैसलों पर आपत्ति जताते हुए आरिफ मोहम्मद ने कहा कि केरल सरकार विश्वविद्यालयों के लिए बने नियमों में संशोधन करे और वो खुद चांसलर बन जाएं ताकि आप अपने राजनीतिक मकसद को बिना किसी दिक्कत के पूरी कर सकें। 

पी विजयन खुद बन जाएं चांसलर, केरल के गवर्नर ने कसा तंज
गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अकादमिक निर्णय गैर-शैक्षणिक लोगों द्वारा नहीं लिए जाने चाहिए। केरल विधानसभा में पारित अधिनियम राज्यपाल को चांसलर बनाता है। मैंने सरकार से एक अध्यादेश लाने के लिए कहा, जहां विश्वविद्यालय के चांसलर सीएम या शिक्षा मंत्री हो सकते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता। मुझे राजनीतिक नियुक्तियों के लिए इस्तेमाल करने के बजाय, उन्हें (सीएम) खुद चांसलर बनना चाहिए। मुझे विधानसभा द्वारा एक अधिनियम के तहत कुलाधिपति बनाया गया था। वह चाहते हैं कि मैं उनके राजनीतिक एजेंडे के अनुसार लोगों को नियुक्त करूं। मैंने उससे कहा कि मैं अब और नहीं कर सकता, उसे खुद चांसलर बनना चाहिए।

विश्वविद्यालय, सरकारी हस्तक्षेप से आजाद हों
सरकार शिक्षा विभाग के तहत आसानी से विश्वविद्यालय चला सकती है लेकिन एक समझ है कि विश्वविद्यालयों को किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए, उनकी स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए। हमारी शिक्षा का भविष्य हमारे विश्वविद्यालयों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि सरकार का जिन विषयों पर राजनीति करनी हो जरूर करे। लेकिन शैक्षणिक संस्थानों की पवित्रता को बनाए रखने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होती है तो इसका केरल की विश्वविद्यालयी शिक्षा पर नजर आएगा।

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