Malabar Exercise: बंगाल की खाड़ी में भारत समेत चार देश दिखाएंगे दम, जानें क्यों मालाबार एक्सरसाइज है अहम

बंगाल की खाड़ी में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया अपनी ताकत का अभ्यास करेंगे, वैसे तो यह एक्सरसाइज पहले से तय थी। लेकिन चीन से बढ़ते तनाव के बीच इसे अहम बताया जा रहा है।

Malabar Exercise: बंगाल की खाड़ी में भारत समेत चार देश दिखाएंगे दम, जानें क्यों मालाबार एक्सरसाइज है अहम
3 नवंबर से बंगाल की खाड़ी में मालाबार एक्सरसाइज का पहला चरण 
मुख्य बातें
  • बंगाल की खाड़ी में 3-6 नवंबर तक मालाबार एक्सरसाइज का पहला चरण
  • मालाबार एक्सरसाइज में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हो रहे हैं शामिल
  • 17-20 नवंबर तक अरब सागर में दूसरा चरण

नयी दिल्ली। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नौसैनिकों के बीच मालाबार अभ्यास का पहला चरण मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में विशाखापत्तनम से शुरू होगा। यह अभ्यास चार देशों के रणनीतिक हितों के बढ़ते संबंध को दर्शाता है।यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लगभग छह महीने से सीमा गतिरोध चल रहा है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव आ गया है।

पहले चरण का मालाबार एक्सरसाइज बंगाल की खाड़ी में 
जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का भी कई मुद्दों पर पिछले कुछ महीनों से चीन के साथ मतभेद रहा है।पिछले महीने, भारत ने घोषणा की थी कि ऑस्ट्रेलिया मालाबार अभ्यास का हिस्सा होगा।ये चारों देश मुख्य रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के सैन्य विस्तारवाद से निपटने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अभ्यास का पहला चरण 3 से 6 नवंबर तक होगा जबकि इसका दूसरा चरण 17 से 20 नवंबर तक अरब सागर में आयोजित किया जाएगा।

क्या है मालाबार एक्सरसाइज
1992 में भारत और अमेरिका के बीच मालाबार एक्सरसाइज की शुरुआत हुई थी। 2015 में जापान ने भी इस युद्धभ्यास में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। 2015 के बाद से यह एक्सरसाइज एक साल अमेरिका के समंदर में तो एक साल जापान की समुद्री-सीमा में और एक साल भारत के समंदर में होती है।मालाबार एक्सरसाइज में जेट प्रशिक्षक हॉक, लंबी दूरी का समुद्री गश्त विमान पी 8 आई, डोर्नियर समुद्री गश्त विमान और कई सारे हेलीकॉप्टर भी अभ्यास में हिस्सा लेंगे। टू-प्लस-टू’ वार्ता के दौरान अमेरिकी रक्षा मंत्री ने मालाबार अभ्यास में शामिल होने के लिये भारत द्वारा आस्ट्रेलिया को न्योता दिये जाने का स्वागत किया था। चीन की आक्रमकता को रोकने के लिये अमेरिका एक सुरक्षा ढांचे के रूप में ‘क्वॉड’ का समर्थन कर रहा है।

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