नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का अल्पसंख्यक प्रेम किसी से छिपा नहीं है। बीजेपी लगातार उनके इस प्रेम पर तीखे हमले करती रही है। लेकिन कूचबिहार में टीएमसी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वो देख रही हैं कि अल्पसंख्यकों के बीच कई कट्टरपंथी हैं, और उनका ठिकाना हैदराबाद में हैं। आप लोग उनकी बातों पर ध्यान मत दीजिए। जाहिर है कि उन्होंने हैदराबाद का जिक्र कर एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी का नाम तो नहीं लिया। लेकिन निशाने पर ओवैसी ही थे। सबसे बड़ी बात ये है कि मंदिर दर्शन से परहेज करने वाली ममता ने मदन मोहन मंदिर का दौरा किया।
अब आपको बताते हैं कि एआईएमएआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा। ओवैसी कहते हैं कि अगर दीदी को हैदराबाद के लोगों से इतना ही डर है तो उन्हें बताना चाहिए कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी 42 में 18 सीटें जीतने में कैसे कामयाब हुई। अगर वो कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों का विकास नहीं हुआ है तो वो धार्मिक अतिवाद कहां से है, सच यही है कि अल्पसंख्यकों का मानव विकास नहीं हुआ है।
ओवैसी ने कहा कि ममता बनर्जी ने बंगाल के लिए मुसलमानों के लिए कुछ भी नहीं किया है। यह समझ के बाहर है कि वो इतनी हताश क्यों हैं। देश का मुसलमान बजल चुका है कि अब वो स्वतंत्र राय रखता है। अब वो किसी के बहकावे में आने वाला नहीं है। ममता बनर्जी को अब पता चल चुका है कि अब सिर्फ वो मुस्लिम समाज के वोटों पर राजनीति नहीं कर सकती हैं। एक तरफ ममता बनर्जी एआईएमएआईएम को बीजेपी की बी पार्टी बताती हैं। लेकिन राम मंदिर पर उनका रुख क्या है उस पर चुप्पी साध लेती हैं।
बता दें कि ममता बनर्जी ने कूचबिहार में अपने कैडर को संबोधित करते हुए औवैसी का नाम नहीं लिया था। लेकिन इशारों में उनका निशाना साफ था कि हैदराबाद से आने वाले कुछ लोग यहां की राजनीति का हिस्सा नहीं बन सकते हैं। इस विषय पर जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन के बाद ममता बनर्जी को अहसास हो चुका है कि राज्य की जनता उन्हें बहुसंख्यकों के विरोधी नेता के दौर पर देख रही है और अगर यह तस्वीर बहुसंख्यक मतदाताओं के दिल में बैठ गई तो 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
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