कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बार नंदीग्राम और भवानीपुर दो सीटों से चुनाव लड़ेंगी। 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता भवानीपुर सीट से विजयी हुईं लेकिन इस बार उन्होंने नंदीग्राम से भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ममता के दो जगहों से चुनाव लड़ने को लेकर सियामी मायने निकाले जा रहे हैं। नंदीग्राम से ममता का नाता काफी पुराना है। 2007 के ममता के नंदीग्राम आंदोलन ने उन्हें एक नई पहचान दी और इस आंदोलन के बदौलत वह वामपंथी सरकार को सत्ता से बाहर करने में सफल हुईं। बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा की 294 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। राज्य में इस बार मुख्य मुकाबला टीएमसी और भाजपा के बीच माना जा रहा है।
ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि वह नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कह, 'संभव हुआ तो मैं भवानीपुर और नंदीग्राम दोनों सीटों से चुनाव लड़ूंगी।'
सुवेंदु अधिकारी को दी चुनौती
समझा जाता है कि नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की घोषणा कर ममता ने टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी को चुनौती दी है। नंदीग्राम अधिकारी का गढ़ है और 2007 के आंदोलन को बढ़ाने में अधिकारी की बड़ी भूमिका मानी जाती है। नंदीग्राम में एक सभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, 'मैं नंदीग्राम से चुनाव लड़ूंगी। नंदीग्राम मेरे लिए भाग्यशाली रहा है।' मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कोलकाता के भवानीपुर से भी चुनाव लड़ेंगी।
नंदीग्राम आंदोलन से ममता को मिली ताकत
नंदीग्राम में किसानों के लिए चलाए गए ममता बनर्जी के आंदोलन ने उन्हें पश्चिम बंगाल की सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। साल 2007 के आंदोलन में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए झड़प में 14 लोगों की जान चली गई। इसके बाद ममता ने 'मा, माटी, मानुष' का नारा दिया और लेफ्ट सरकार के खिलाफ एक विशाल आंदोलन को आगे बढ़ाया।
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