क्या अधिकारी के बाद TMC छोड़ेंगे ममता के ये 4 मंत्री! कैबिनेट की बैठक में नहीं आए तो लगने लगी अटकलें 

बैठक में जो चार मंत्री उपस्थित नहीं हुए उनमें राजीब बनर्जी, रवींद्रनाथ घोष, गौतम देब और चंद्रनाथ सिन्हा शामिल हैं। रिपोर्टों की मानें तो इनमें से तीन ने बैठक में उपस्थित न होने के अपने 'जायज कारण' दिए हैं।

Mamata Banerjee's 4 ministers skip cabinet meet, trigger speculations of more resignations
क्या अधिकारी के बाद TMC छोड़ेंगे ममता के ये 4 मंत्री।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • गत रविवार को अधिकारी सहित कई विधायक टीएमसी छोड़ भाजपा में हुए शामिल
  • अटकलें है कि आने वाले समय में कई टीएमसी नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं
  • अप्रैल-मई महीने में होने वाले हैं विधानसभा चुनाव, इस बार भाजपा-टीएमसी में मुख्य मुकाबला

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आने वाले दिनों में एक और बड़ा झटका लग सकता है। बताया जा रहा है कि कोलकाता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ममता सरकार के चार मंत्री शामिल नहीं हुई। बैठक से मंत्रियों की गैरमौजूदगी सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बनी है। कहा जा रहा है कि ये चार मंत्री अगले कुछ दिनों में ममता सरकार से इस्तीफा दे सकते हैं। कुछ दिनों पहले टीएमसी के कद्दावर नेता एवं ममता के करीबी सहयोगी सुवेंदु अधिकारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो चुके हैं। अधिकारी के अलावा टीएमसी के एक सांसद और नौ विधायक भी भगवा पार्टी का दामन थामा है।

कैबिनेट की बैठक में चार मंत्री नहीं आए
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बैठक में जो चार मंत्री उपस्थित नहीं हुए उनमें राजीब बनर्जी, रवींद्रनाथ घोष, गौतम देब और चंद्रनाथ सिन्हा शामिल हैं। रिपोर्टों की मानें तो इनमें से तीन ने बैठक में उपस्थित न होने के अपने 'जायज कारण' दिए हैं। लेकिन वन मंत्री राजीब बनर्जी की चुप्पी ने सियासी गलियारों में अटकलों का दौर शुरू कर दिया है। राजीब पिछले कुछ समय से पार्टी की नीतियों को लेकर मुखर रहे हैं और कई मौकों पर उन्होंने अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। पिछले सोमवार को वह टीएमसी के महासचिव पार्थ चटर्जी से मिले। पिछले एक सप्ताह में राजीब की चटर्जी से यह दूसरी मुलाकात थी।

सुवेंदु अधिकारी भाजपा में हुए हैं शामिल
सोमवार को मीडिया से बात करते हुए राजीब ने कहा कि उनकी तुलना हाल ही में भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी से नहीं की जा सकती। टीएमसी नेतृत्व के साथ किसी तरह की अनबन होने के सवाल पर मंत्री ने कहा, 'पार्टी का एक अनुशासित सिपाही होने के नाते मैं इस बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहूंगा। मैं बीते दिनों पार्थ दा से मिल चुका हूं। नेतृत्व की ओर से बुलाए जाने के बाद मैं एक बार फिर उनसे मिला हूं। इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं देखा जाना चाहिए।' 

भाजपा ने बनाई है आक्रामक रणनीति
गत पांच दिसंबर को राजीब ने कथित रूप से दावा किया था कि ऐसे नेता जो टीएमसी नेतृत्व को 'खुश' रखते हैं उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है जबकि पार्टी के लिए कठिन परिश्रम करने वाले कार्यकर्ताओं को पीछे बैठा दिया जाता है। राज्य में अगले साल अप्रैल-मई महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और टीएमसी के बीच माना जा रहा है। चुनाव में ममता को कड़ी टक्कर देने के लिए भाजपा पूरी तरह से आक्रामक मोड में आ चुकी है और वह ममता सरकार पर हमलावर है। लोकसभा चुनावों के बाद टीएमसी के कद्दावर नेता अधिकारी सहित, 15 अन्य विधायक और एक सांसद भाजपा में शामिल हो चुके हैं।  
 

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