नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बयान ही नहीं, बल्कि उनके सलाहकारों के बयान भी अब कांग्रेस के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर तथा पाकिस्तान पर दिए गए उनके सलाहकारों, प्यारे लाल गर्ग और मालविंदर सिंह माली के बयानों का पार्टी में ही तगड़ा विरोध हो रहा है। पहले पंजाब के मुख्यमंत्री ने बयानों को लेकर फटकार लगाई थी और कांग्रेस नेता और सांसद मनीष तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उन्हें पार्टी तो छोड़िए, क्या इस मुल्क में भी रहने का हक है?
मनीष तिवारी ने कह दी बड़ी बात
मनीष तिवारी से पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के विवादास्पद बयानों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'देखिए भारत की संसद का सर्वसम्मति से 1994 में एक प्रस्ताव पारित हुआ था। जिसमें कहा गया था कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न तथा अटूट अंग हैं। अगर भारत का कोई काम अभी बांकि बचा है वो उन इलाकों को वापस लेना है जो अभी पाकिस्तान के नाजायज कब्जे में हैं। भारत की संसद ने सर्वसम्मति से इस बात को 2012 में भी दोहराया था। तो जो व्यक्ति ये मानते ही नहीं कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है, तो क्या उन्हें इस मुल्क में, पार्टी की तो आप तो छोड़िये.. क्या इस मुल्क में भी रहने का हक है? क्योंकि भारत की एकता, अखंडता और प्रभुसत्ता को बरकरार रखने के लिए, जब पंजाब और कश्मीर आतंकवाद के दौर से गुजर रहा था.. हजारों कांग्रेसजनों ने अपना बलिदान दिया, परिवार खत्म हो गए। तो उसके बीच अगर इस तरह के बयान आते हैं तो वो उन लोगों के बलिदान की खिल्ली उड़ाने का काम करते हैं।'
किया था ट्वीट
इससे पहले भी सिद्धू के दो सलाहकारों प्यारे लाल गर्ग और मलविंदर सिंह माली की कथित टिप्पणियों को पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी ने ट्वीट करते हुए कहा था, ‘मैं कांग्रेस महासचिव एवं पंजाब के प्रभारी हरीश रावत से आग्रह करता हूं कि इसको लेकर गंभीरता से आत्ममंथन करें कि जो जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते और जिनका स्पष्ट रूप से पाकिस्तान समर्थक रुझान है, क्या उन्हें कांग्रेस की पंजाब इकाई का हिस्सा होना चाहिए? यह उन सभी लोगों का मजाक है जिन्होंने भारत के लिए अपना खून बहाया है।’
सिद्धू के सलाहकारों के बयान
आपको बता दें कि प्यारे लाल गर्ग ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा की गई पाकिस्तान की आलोचना पर सवाल उठाया था। दूसरी तरफ, माली ने संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के मुद्दे पर बात की थी, जिसके तहत तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर को एक विशेष दर्जा मिला हुआ था। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि अगर कश्मीर भारत का हिस्सा था तो धारा 370 और 35ए हटाने की क्या जरूरत थी।
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