PM Modi Mann Ki Baat: कोरोना काल में बढ़ा योग का महत्व, आयुष्मान भारत से 1 करोड़ लोगों का मुफ्त इलाज हुआ

देश
लव रघुवंशी
Updated May 31, 2020 | 11:31 IST

PM Modi Mann Ki Baat (पीएम मोदी 'मन की बात'): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों के सामने क्या बातें रखी हैं। वो सबकुछ यहां जानें और पढे़ं:

Mann Ki  Baat LIVE on DD National, PM Narendra Modi address Nation today
पीएम मोदी की मन की बात 
मुख्य बातें
  • हर महीने के आखिरी रविवार को 'मन की बात' करते हैं पीएम मोदी
  • 2014 से लगातार 'मन की बात' कर रहे हैं पीएम मोदी
  • पीएम मोदी 'मन की बात' में किस विषय पर बोलें इसके लिए लोगों से राय भी मांगते हैं

PM Modi Mann Ki Baat Today: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से देश को संबोधित किया। यहां सुनें उनकी मन की बात: 

पीएम मोदी 'मन की बात' अपडेट

आयुष मंत्रालय ने 'माई लाइफ माई योग नाम से अंतरराष्ट्रीय वीडियो ब्लॉग प्रतियोगिता शुरू की है। पूरी दुनिया के लोग इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं। प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए आपको योग या आसन जो भी करते हों वो करते हुए अपना 3 मिनट का एक वीडियो अपलोड करना होगा। इस वीडियो में योग से आपके जीवन में जो बदलाव आया है। उसके बारे में भी बताना है। आपसे अनुरोध है कि आप सभी इस प्रतियोगिताओं में अवश्य भाग लें और इस नए तरीके से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में भागीदार बनें।

आयुष्मान के 80% लाभार्थी ग्रामीण

आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी 80% ग्रामीण इलाकों में से 50% लाभार्थी माता-बहन और बेटियां हैं। इस योजना के तहत 70% लोगों ने सर्जरी कराई है और बड़ी तकलीफों से मुक्ति मिली है। ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत मुफ्त इलाज से गरीबों के जीवन में जो सुख- संतोष मिला है, उस पुण्य के असली हक़दार आप और हमारे  ईमानदार कर दाता(Tax Payer)भी हैं।

आयुष्मान भारत योजना के 1 करोड़ लाभार्थी

कुछ ही दिन पहले आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज मतलब नॉर्वे जैसा देश, सिंगापुर जैसा देश उसकी जो कुल जनसंख्या है, उससे दो गुना लोगों को मुफ्त में इलाज दिया गया है। अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता तो उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज है, करीब-करीब 14 हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से खर्च करने पड़ते। 

कोरोना संकट के इस समय में योग- आज इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि ये वायरस हमारी श्वसन प्रणाली को सबसे अधिक प्रभावित करता है। योग में तो श्वसन प्रणाली को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं। ‘कपालभाती’ और ‘अनुलोम-विलोम’, ‘प्राणायाम’ से अधिकतर लोग परिचित होंगे। लेकिन ‘भस्त्रिका’, ‘शीतली’, ‘भ्रामरी’ जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं।

योग में जगी विश्व नेताओं की दिलचस्पी

कोरोना संकट के इस दौर में मेरी विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है। विश्व के अनेक नेताओं में इन दिनों बहुत ज्यादा दिलचस्पी योग और आयुर्वेद के संबंध में होती है। हर जगह लोगों ने योग और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में और ज्यादा जानना चाहा है। कितने ही लोग जिन्होंने कभी योग नहीं किया वे भी ऑनलाइन योगा क्लास से जुड़ गए हैं या ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं।

साथियों, जो दृश्य आज हम देख रहे हैं, इससे देश को अतीत में जो कुछ हुआ, उसके अवलोकन और भविष्य के लिए सीखने का अवसर भी मिला है। आज, हमारे श्रमिकों की पीड़ा में, देश के पूर्वीं हिस्से की पीड़ा को देख सकते हैं। उस पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है।

हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्र, राज्य, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं- दिन-रात मेहनत कर रहें हैं। जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं।

इस महामारी के समय हम भारतवासियों ने ये दिखा दिया है कि सेवा और त्याग का हमारा विचार, केवल हमारा आदर्श नहीं है बल्कि भारत की जीवनपद्धति है। दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति के जीवन में कोई डिप्रेशन या तनाव कभी नहीं दिखता। उसके जीवन में जीवन को लेकर उसके नजरिए में भरपूर आत्मविश्वास, सकारात्मक्ता और जीवंतता प्रतिपल नजर आती है।

जो नुकसान हुआ है उसका दुःख हम सबको है लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं वो निश्चित तौर पर देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है। इतने बड़े देश में हर-एक देशवासी ने खुद, इस लड़ाई को लड़ने की ठानी है, ये पूरी मुहिम लोगों द्वारा चलाई गई है।

कोरोना का कोई इलाज नहीं

कोरोना की वैक्सीन पर हमारी लैबों में जो काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नजर है और हम सबकी आशा भी। किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है। कोरोना एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है, पहले का अनुभव नहीं है, ऐसे में नई चुनौतियां परेशानियां हम अनुभव कर रहें हैं। ये दुनिया के हर देश में हो रहा है, इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है।

संकट की घड़ी में खूब हुआ इनोवेशन

एक और बात, जो, मेरे मन को छू गई है, वो है, संकट की इस घड़ी में इनोवेशन। गांवों से लेकर शहरों तक, छोटे व्यापारियों से स्टार्टअप तक। नए-नए तरीके इजाद किए जा रहे हैं, नए इनोवेशन कर रहे हैं। मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था। कई दुकानदारों ने दो गज की दूरी के लिए दुकान में बड़े पाइपलाइन लगा लिए हैं, जिसमें एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से, ग्राहक अपना सामान ले लेते हैं

देश के सभी इलाकों से women #SelfHelpGroup के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियां इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं। गांवों, कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियां, हर दिन mask बना रही हैं। तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं। 

ऐसे में हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। देश में सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है। हमारी जनसंख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला। 

जब पिछली बार मन की बात की थी तो ज्यादातर सबकुछ बंद था। इस बार बहुत कुछ खुल चुका है, श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं, अन्य स्पेशल ट्रेनें भी चल रही हैं। तमाम सावधानियों के साथ हवाई जहाज उड़ने लगे हैं। अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है।

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