UP News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में करीब 50 वार्ड के नाम बदले गए हैं। नाम बदलने को लेकर एक बार फिर यूपी की सियासत गरमा गई है और विपक्ष इसे लेकर सरकार पर हमलावर है। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया। पिछले कुछ वर्षों के दौरान यूपी में कई जिलों और शहरों के नाम बदले और इस पर जमकर राजनीति भी हुई। यूपी चुनाव के दौरान भी जिलों-शहरों के नाम बदलने का मुद्दा उठा था। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था। इसी तरह फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया।
यह पता लगाने की कोशिश कि पिछले दस वर्षों में कितने कस्बों, शहरों और जिलों के नाम बदले गए हैं, इंडिया टुडे ने उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व बोर्ड के पास सूचना का अधिकार (आरटीआई) दायर की। इसके मुताबिक पिछले 10 साल में 11 जिलों के नाम बदले गए हैं। इसने एक सूची प्रदान की है जिसमें पुराने और नए दोनों नाम हैं, साथ ही तारीखें भी हैं जिन पर परिवर्तन हुआ है। आम धारणा के उलट इन 11 में से 9 जिलों-शहरों के नाम अखिलेश यादव की सरकार बदले हैं। गोरखपुर में वार्डों के नाम बदलने से पहले योगी सरकार ने सिर्फ दो जिलों के नाम बदले हैं जिनमें अक्टूबर 2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया और फिर फैजाबाद को बदलकर अयोध्या कर दिया गया।
दिलचस्प बात यह है कि अखिलेश की सरकार 2012 से 2017 तक] ने जुलाई 2012 में एक बार में आठ जिलों के नाम बदल दिए। अपनी सरकार के आखिरी साल में उन्होंने संत रविदास नगर का नाम बदलकर भदोही कर दिया। इसके अलावा उन्होंने जिन जिलों के नाम बदले उनमें प्रबुद्ध नगर का नाम बदलकर शामली (2012), भीमगर का नाम बदलकर संभल (2012), पंचशील नगर का नाम हापुड़ (2012), महामाया नगर का नाम बदलकर हाथरस (2012), ज्योतिबा फुले नगर का नाम बदलकर अमरोहा (2012), कांशीराम नगर का नाम बदलकर कासगंज (2012), छत्रपति शाहू जी महाराज नगर का नाम बदलकर अमेठी (2012), रमाबाई नगर का नाम बदलकर भदोई (2015) शामिल है। यानी जिलों के नाम बदलने के मामले में अखिलेश योगी से कई गुना आगे हैं।
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