नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष दलों की उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा होंगी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से लिए गए इस निर्णय में 17 दल शामिल हैं। हमारी सामूहिक सोच है कि अल्वा मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल करेंगी। और तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के समर्थन से वह कुल 19 पार्टियों की संयुक्त उम्मीदवार होंगी। शरद पवार ने कहा कि हम ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछली बार उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए हमारे संयुक्त उम्मीदवार का समर्थन किया था। शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि इस चुनाव में हम सब साथ हैं। अल्वा कांग्रेस की सीनियर नेता हैं। राजस्थान की राज्यपाल रह चुकी हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त को होगा। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 19 जुलाई है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के चयन के वास्ते रविवार को दिल्ली में बैठक की। हालांकि उपराष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल का गणित सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पक्ष में मान जा रहा है। बैठक में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी राजा और बिनॉय विश्वम, शिवसेना के संजय राउत, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के टी आर बालू और तिरुचि शिवा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, एमडीएकमे के वाइको तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के केशव राव शामिल हुए। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ए डी सिंह, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईएमयूएल) के ई टी मोहम्मद बशीर और केरल कांग्रेस (एम) के जोस के मणि भी बैठक में मौजूद थे।
एनडीए ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। शनिवार शाम उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की गई थी। राजस्थान के जाट नेता धनखड़ राजस्थान और हरियाणा में चुनावी गणित को प्रभावित कर सकते हैं, जहां क्रमश: 2023 और 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित करने से पहले समान विचारधारा वाले गैर-बीजेपी दल एनडीए प्रत्याशी के नाम के ऐलान का इंतजार करना चाहते थे। दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों ने एनडीए द्वारा द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का ऐलान किए जाने से पहले ही यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इससे शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सहित कई गैर-बीजेपी दलों ने बाद में सिन्हा के बजाय मुर्मू के समर्थन की घोषणा की थी।
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