Martyrs day: आज है शहीद दिवस, महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथ‍ि, जानें 23 मार्च से कैसे अलग है ये दिन

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Updated Jan 30, 2021 | 06:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Martyrs day: देश आज राष्‍ट्रपिता के मूल्‍यों एवं उनके आदर्शों को याद कर रहा है। नाथराम गोडसे से 30 जनवरी को ही गोली मारकर राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की हत्‍या कर दी थी।

Martyrs day: आज है शहीद दिवस, महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथ‍ि, जानें 23 मार्च से कैसे अलग है ये दिन
Martyrs day: आज है शहीद दिवस, महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथ‍ि, जानें 23 मार्च से कैसे अलग है ये दिन  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली : देश आज राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथि मना रहा है। इस दिन को भारतीय इतिहास के दुखद पन्‍नों में गिना जाता है। 30 जनवरी, 1948 को ही नाथूराम गोडसे ने दिल्‍ली के बिड़ला हाउस में गोली मारकर महात्‍मा गांधी की हत्‍या कर दी थी। भारत में इस दिन को महात्‍मा गांधी की शहादत के रूप में मनाया जाता है और इसे शहीद दिवस भी कहा जाता है।

इस दौरान देशभर में सभाओं का आयोजन कर महात्‍मा गांधी को श्रद्धांजलि दी जाती है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित देश के कई गणमान्य नागरिक राष्ट्रपिता के समाधि स्‍थल 'राजघाट' जाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। उनके आदर्शों व मूल्‍यों के साथ-साथ राष्‍ट्र के प्रति उनके अतुलनीय योगदान को याद किया जाता है। इस बार 30 जनवरी को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पूर्वाह्न 11 बजे 2 मिनट का मौन रखने का निर्देश दिया गया है। यह उन वीर सपूतों के लिए भी होगा, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्‍यौछावर कर दिए।

23 मार्च से कैसे अलग है ये शहीद दिवस

इस दिन को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और ऐसे में अक्‍सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि 30 जनवरी को मनाया जाने वाला शहीद दिवस हर साल 23 मार्च को मनाए जाने वाले शहीद दिवस से किस तरह अलग है? यहां उल्‍लेखनीय है कि 30 जनवरी को शहीद दिवस जहां राष्‍ट्रप‍िता महात्‍मा गांधी की शहादत के उपलक्ष्‍य में मनाया जाता है, वहीं 23 मार्च को शहीद दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्‍योंकि इसी दिन ब्रिटिश शासन में वर्ष 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।

महात्‍मा गांधी की हत्‍या नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी, 1948 को कर दी थी, जब वह प्रार्थना में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। उस वक्‍त वह 78 साल के थे। गोडसे भारत विभाजन पर गांधी जी के विचारों से असहमत था। बाद में उसे मौत की सजा दी गई।

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