नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश सख्द कदम उठा सकते हैं लेकिन वे लॉकडाउन पर केंद्र की गाइडलाइन को कमजोर या उसे हल्का नहीं बना सकते। गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्यों के साथ नए सिरे से बातचीत की है क्योंकि कुछ राज्य अपने दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं जिससे लॉकडाउन की गाइडलाइन कहीं न कहीं 'कमजोर पड़ रही है' और इससे आम लोगों के 'स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।'
उन्होंने कहा, 'देश में लॉकडाउन की स्थिति पर गृह मंत्रालय नियमित रूप से नजर बनाए हुए है। इस दौरान जहां कहीं भी लॉकडाउन का उल्लंघन दिखाई पड़ रहा है, वहां राज्यों के समन्वय के साथ पर्याप्त कार्रवाई की जा रही है। रविवार को एमएचए ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखा और लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने का निर्देश दिया।'
अधिकारी ने आगे कहा, 'राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश स्थानीय हालात के अनुसार लॉकडाउन को लागू करने के लिए सख्त कदम उठा सकते हैं लेकिन वे इसे कमजोर अथवा हल्का नहीं बना सकते।' उन्होंने कहा कि कुछ राज्य ऐसी सुविधाएं देने लगे हैं जिनकी एमएचए की गाइडलाइन में इजाजत नहीं दी गई है। सलिला ने कहा कि गृह मंत्रालय ने केरल के सरकार को पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है।
बता दें कि गृह मंत्रालय ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में कोविड-19 की स्थिति पर नजर रखने के लिए छह अंतर मंत्रालयी टीम बनाई है। ये टीम इन राज्यों की स्थिति पर केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूछा है कि राज्यों में लॉकडाउन मानदंडों के क्रियान्वयन का आकलन करने के लिए किस आधार पर टीम का गठन किया गया है।
ममता बनर्जी ने कहा, ‘मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी से इस संबंध में जानकारी साझा करने का आग्रह करती हूं। तब तक मुझे संदेह है कि हम आगे कोई कार्रवाई नहीं कर पाएंगे, क्योंकि बिना किसी ठोस तर्क के यह संघवाद की भावना के खिलाफ होगा।’देश में लॉकडाउन की अवधि तीन मई तक बढ़ाए जाने के बाद कई शहरों में लॉकडाउन के उल्लंघन की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं पर एमएचए ने कहा है कि इससे कोविड-19 का प्रकोप और बढ़ सकता है।
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