निशाने पर प्रवासी श्रमिक, हर बार बनते हैं सॉफ्ट टारगेट, इन 54 जिलों से सबसे ज्यादा पलायन

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Oct 19, 2021 | 13:29 IST

Terrorist Attack in Kashmir: आवासीय कार्य और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा पुरूष आबादी का पलायन यूपी, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल से होता है।

Migrant Workers
कश्मीर में प्रवासी श्रमिक आतंकियों के निशाने पर हैं  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • 3.89 करोड़ से ज्यादा पुरुष और 73.83 लाख से ज्यादा महिलाएं रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं।
  • कश्मीर में आतंकियों के निशाने पर गैर-कश्मीरी लोग हैं। और 16 दिनों में 5 प्रवासी श्रमिकों की हत्या कर दी है।
  • देश में 54 ऐसे जिले हैं, जहां से सबसे ज्यादा पुरूष रोजगार, शिक्षा और बिजनेस के लिए पलायन करते हैं।

नई दिल्ली:  जम्मू एवं कश्मीर में प्रवासी श्रमिक आतंकियों के निशाने पर हैं। ये वो लोग हैं जो रोजी-रोटी की तलाश में देश के विभिन्न कोनों से दूसरे शहरों में पहुंचते हैं। कश्मीर में 5 अक्टूबर से 17 अक्टूबर के बीच 5 प्रवासी श्रमिकों की आतंकियों ने हत्या कर दी। और उन्होंने धमकी भी दी है कि प्रवासी श्रमिक कश्मीर छोड़कर चले जाएं। साफ है कि आतंकवादी, कश्मीर में हर साल आने वाले 3-4 लाख प्रवासी श्रमिकों के अंदर खौफ पैदा कर, उन्हें  राज्य से निकालना चाहते हैं। इनमें से ज्यादातर श्रमिक ऐसे हैं तो 400-500 रुपये की दिहाड़ी पर काम करते हैं। आतंकवादियों के लिए ये मजदूर सॉफ्ट टारगेट हैं क्योंकि इनके पास न तो रसूख है और न ही सुरक्षा घेरा।

हमेशा बनते हैं सॉफ्ट टारगेट

ऐसा नहीं है कि देश में प्रवासी श्रमिक पहली बार निशाने पर हैं। वह दूसरे इलाकों में भी राजनीतिक हितों के लिए टारगेट बनते रहे हैं। मसलन महाराष्ट्र में मराठी बनाम पूरबिया और दक्षिण भारतीय का मुद्दा काफी गरम रह चुका है।  साठ और 70 के दशक में  शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने, राज्य में दक्षिण भारतीयों को निशाना बनाया और नारा दिया 'लुंगी हटाओ पुंगी बजाओ'। उसके बाद उनके भतीजे राज ठाकरे ने 2008 में मराठी बनाम उत्तर भारतीय का मुद्दा उठाया था। इसका परिणाम यह रहा कि यूपी, बिहार से मुंबई में आकर रोजी-रोटी कमा रहे, लोग निशाने पर रहे। और हिंसक घटनाएं हुई।

2018 में गुजरात के साबरकांठा में एक 14 साल की लड़की के साथ बलात्कार का मामला सामने आने के बाद , यूपी-बिहार के लोगों के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई थी।

इसी तरह 2003 में असम में  रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा के दौरान दूसरे राज्यों के परीक्षार्थियों के साथ मारपीट से हुई थी। और उसके बाद उग्रवादियों ने 38 मजदूरों की हत्या कर दी थी।

इन 54 जिलों से सबसे ज्यादा होता है पलायन

आवासीय कार्य और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा पुरूष आबादी का पलायन यूपी (गोंडा, बस्ती,गोरखपुर, देवरिया,सुल्तानपुर,आजमगढ़,जौनपुर, प्रतापगढ़,इलाहाबाद, वाराणसी, बिजनौर, मुजफ्फरनगर,मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़,एटा,सिद्धार्थनगर, आगरा,कुशीनगर, इटावा,फैजाबाद,रायबरेली,बलिया,गाजीपुर)

 बिहार (दरभंगा, सीवान,मधुबनी,समस्तीपुर,सारण,पटना,पूर्वी चंपारण,सीतामढ़ी, गोपालगंज, मुज्जफरपुर, वैशाली, बेगूसराय, भोजपुर, भागलपुर,मुंगेर,दरभंगा,रोहतास,औरंगाबाद,नवादा, गया)

ओडीसा का गंजाम जिला, उत्तराखंड (गढ़वाल, अल्मोड़ा), राजस्थान का पाली, झारखंड का चतरा, पश्चिम बंगाल (नादिया, मेदिनीपुर), महाराष्ट्र का जलगांव और कर्नाटक के गुलबर्गा जिलों से होता है।

सबसे ज्यादा रोजगार के लिए पलायन

रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा लोग रोजगार के लिए अपना शहर छोड़, दूसरे राज्यों में जाते हैं। उसके बाद बिजनेस और शिक्षा पलायन की वजह बनती है। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 3.89 करोड़ से ज्यादा पुरुष और 73.83 लाख से ज्यादा महिलाएं रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं। इसके बाद बिजनेस के लिए 32.19 लाख पुरुष और 11.25 लाख महिलाएं पलायन करते हैं। इसी तरह 47.76 लाख से ज्यादा पुरूष और 32.32 लाख से ज्यादा महिलाएं शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं।

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