नई दिल्ली। सेना की भर्ती प्रक्रिया में क्या पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका है। क्या आईएसआई भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है। दरअसल यह सवाल उठ रहा था और इस संबंध में मिलिट्री इंटेलिजेंस ने यूपी पुलिस के साथ मिलकर एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। बरेली में रिक्रूटमेंट सेंटर पर छापमेरी की गई जिसमें पता चला है कि सेना के दो पूर्व कर्मचारी पिछले दो वर्ष से जाली दस्तावेजों के आधार पर युवकों को भर्ती अभियान में मदद करते थे। जांचकर्ताओं को शक है कि कहीं न कहीं जो रैकेट अपने काम को अंजाम दे रहा था वो आईएसआई के संपर्क में था। इस सिलसिले में पुलिस मे एक अवकाश प्राप्त जवानस एक पुलिसकर्मी और तीन अन्य को गिरफ्तार किया है।
मिलिट्री इंटेलिजेंस और यूपी पुलिस ने किया राजफाश
मिलिट्री इंटेलिजेंस और पुलिस की साझा प्रेस कांफ्रेंस में जाली दस्तावेजों के आधार पर अभी तक 21 लोगों की भर्ती हुई है। यूपी पुलिस अब इस मामले में आईबी की भी मदद ले रही है ताकि जनवरी 2019 से लेकर अबतक जिन लोगों की भर्ती हुई है उनका दोबारा सत्यापन कराया जाए। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक दोनों एजेंसियों को लंबे समय से इस तरह की जानकारी मिली थी कि कुछ लोग किसी बाहरी शक्ति के इशारे पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए भर्ती अभियान में शामिल होते थे।
जांच में किसी तरह की कोताही नहीं
मिलिट्री इंटेलिजेंस का कहना है कि यह गंभीर विषय है और इससे जुड़े सभी तथ्यों की जांच कराई जाएगी। जो लोग पकड़े गए हैं उनके पिछले इतिहास को खंगाला जा रहा है ताकि यह पता चल सके कि इन लोगों का नेटवर्क और कहां तक फैला है। इस संबंध में यूपी पुलिस की भी मदद ली जा रही है। जहां तक भर्तियों का सवाल है वो पूरी तरह से पारदर्शी हैं लेकिन अब जब कुछ धंधेबाज सामने आए हैं तो गहराई से जांच पड़ताल की जा रही है।
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