दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को एमजे अकबर मानहानि मामले में प्रिया रमानी को बरी कर दिया। एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के लिए प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाया। एमजे अकबर ने प्रिया रामानी के खिलाफ यह कहते हुए आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था कि प्रिया रमानी ने MeToo कैंपेन के दौरान किए गए ट्वीट से उनकी मानहानि हुई है।
न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडे ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में यह फ़ैसला सुनाया,अदालत ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि यौन शोषण आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को खत्म कर देता है, कोर्ट ने कहा, 'किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा किसी के सम्मान की क़ीमत पर नहीं की जा सकती है।'
अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 21 और समानता का अधिकार भारत के संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को दिया गया है और कहा कि रमणी को "अपनी पसंद के किसी भी मंच में अपना मामला डालने" का पूरा अधिकार है। अदालत ने यौन शोषण के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाई और कहा, "आरोपों के साथ जुड़ा सामाजिक कलंक .. समाज को यौन शोषण और उसके पीड़ितों पर उत्पीड़न के प्रभाव को समझना चाहिए।"
मी टू मुहिम के तहत कई महिलाओं ने सोशल मीडिया पर अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न पर खुलकर बात की इसी कड़ी में साल 2018 में ही मी टू मुहिम के तहत पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व विदेश मंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था इस पर अकबर ने रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था अकबर ने अदालत से महिला पत्रकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रमानी ने उनकी प्रतिष्ठा खराब करने के लिए 20 वर्ष बाद झूठे आरोप लगाए हैं यदि यौन शोषण हुआ था तो वह इतने वर्ष चुप क्यों रहीं।
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