नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को हिन्दी दिवस के मौके पर कुछ ऐसा कह दिया है कि उसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने एक देश-एक भाषा की बात कही है। AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बाद डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने उनके बयान पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, 'हम लगातार हिंदी थोपने का विरोध कर रहे हैं। अमित शाह द्वारा की गई आज की टिप्पणी ने हमें झटका दिया है, यह देश की एकता को प्रभावित करेगा। हम मांग करते हैं कि वह अपना बयान वापस लें।'
स्टालिन ने कहा, 'परसों हम अपनी कार्यकारी की बैठक करेंगे जहां इस मुद्दे को और उठाया जाएगा। संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि भारत राज्यों का एक संघ है। भारत की बहुलता हमारी ताकत है। विविधता में एकता इस देश की नींव है। भाजपा सरकार इसे नष्ट करने की कोशिश कर रही है।'
DMK नेता ने कहा, 'उन्होंने हिन्दी को एक एकीकृत भाषा बनाने के बारे में जो बयान दिया, वह गैर-हिन्दी भाषी राज्य के नागरिकों को द्वितीय श्रेणी के नागरिक बनाने का एक प्रयास है। यदि बहुमत से बोली जाने वाली भाषा को राष्ट्रीय भाषा घोषित किया जाना चाहिए, तो कौआ राष्ट्रीय पक्षी होना चाहिए। डीएमके इस देश की बहुलता और अखंडता को बचाने के लिए तैयार है। हम चेतावनी देते हैं कि यह इंडिया है, हिंडिया नहीं।'
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा, 'अकेले हिंदी को आगे बढ़ाने की कोशिश देश को साथ रखने वाली नहीं है। हमें सभी धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं का सम्मान करना होगा, यही भारतीय शासन का मुख्य मंत्र है। मुझे लगता है कि गृह मंत्री समीक्षा करेंगे क्योंकि तमिलनाडु के लोगों की भावनाएं प्रभावित होती हैं और तमिल लोगों का बहुत विरोध होता है। मुझे आशा है और विश्वास है कि गृह मंत्री दक्षिणी क्षेत्र के लोगों की भावनाओं पर विचार करेंगे।'
वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'हिंदी हर भारतीय की 'मातृभाषा' नहीं है। क्या आप इस देश में कई मातृभाषाओं की विविधता और सुंदरता की सराहना करने की कोशिश कर सकते हैं? अनुच्छेद 29 प्रत्येक भारतीय को एक अलग भाषा, लिपि और संस्कृति का अधिकार देता है। भारत हिंदी, हिंदू, हिंदुत्व से बहुत बड़ा है।'
अमित शाह ने कहा, 'हिन्दी दिवस के अवसर पर हमें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। इस दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिनकी भाषाएं विलुप्त हो गई हैं। जो देश अपनी भाषा छोड़ता है वह अपना अस्तित्व भी खो देता है। जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपनी संस्कृति को संरक्षित नहीं कर सकता है। भाषाओं और बोलियों की विविधता हमारे राष्ट्र की ताकत है। लेकिन हमारे राष्ट्र के लिए एक भाषा होना आवश्यक है, ताकि विदेशी भाषाओं को जगह न मिले। यही कारण है कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी को 'राजभाषा' कहा।'
इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है। आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और लौह पुरूष सरदार पटेल के स्वप्प्न को साकार करने में योगदान दें।'
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