News ki Pathshala : आज पाठशाला में क्या है? किसान आंदोलन कल खत्म होगा या नहीं, बताने वाला चैप्टर राकेश टिकैत की Minimum Support & Popularity किसान आंदोलन से टिकैत का चैप्टर क्लोज? क्या कल राकेश टिकैत फूट फूट कर रोएंगे? मोदी का वो कदम, जो MSP पर बहस खत्म कर देगा।
जब राकेश टिकैत रोए थे। पुलिस बॉर्डर खाली करवाने गई थी, लेकिन टिकैत फूट फूट कर रोने लगे। इससे माहौल बदल गया था और पुलिस ने एक्शन को टाल दिया था।
नवंबर 2020- आंदोलन शुरू
दिसंबर 2020- बक्कल उतार देंगे
26 जनवरी- लालकिले की हिंसा
28 जनवरी- गाजीपुर बॉर्डर पर आंसू
19 नवंबर- कृषि कानून वापसी
1-पंजाब के 32 किसान संगठन आंदोलन खत्म करने पर सहमत हैं।
2-आंदोलन खत्म होने के संकेतों से राकेश टिकैत बेचैन हो गए हैं।
3-संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक 4 दिसंबर से पहले कल ही हो जाएगी।
4-राकेश टिकैत ग्रुप और चढ़ूनी ग्रुप का टकराव चरम पर पहुंच गया।
5-कैप्टन अमरिंदर ने कह दिया कि 4 दिसंबर को आंदोलन खत्म हो जाएगा
चढ़ूनी ग्रुप के एक नेता सतीश नंबरदार ने आज अहम बातें की हैं। उन्होंने राकेश टिकैत की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आंदोलन की आड़ में कुछ लोग राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं। यूपी के एक किसान नेता ऊल-जुलूल बयान देते हैं। इनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षा बहुत बड़ी है। कृषि कानून वापस हो गए, अब बॉर्डर खोल देने चाहिए। बॉर्डर पर बने रहने की अब कोई वजह नहीं बनती है।
भारतीय किसान यूनियन(चढ़ूनी) राष्ट्रीय महासचिव सतीश नंबरदार ने कहा कि जिस दिन से सरकार बिल लेकर आई है। ऑर्डिनेंस लेकर आई थी लॉकडाउन में, तभी से हम इस आंदोलन को लड़ने का काम कर रहे हैं। और माननीय प्रधानमंत्री ने दो कदम आगे बढ़ा कर जिस तरह से किसानों का सम्मान किया है। ये अद्भुत करिश्मा है, हम माननीय प्रधानमंत्री का इस बात के लिए धन्यवाद भी करते हैं। और आज कुछ महत्वकांक्षी जो हमारे संयुक्त मोर्चा में नेता हैं। कुछ महत्वकांक्षी, कुछ हैं, ज्यादातर मेरे बहुत अच्छे साथी हैं और बहुत अच्छी तरह से उन्होंने लड़ने का काम किया। हम तो आज शांति के साथ अपने घर जाना चाहते हैं। लेकिन कुछ जो राजनीतिक महत्वकांक्षा रखते हैं, जिनके पल्ले है भी नहीं कुछ वो इस आंदोलन को आगे बढ़ाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं। जो मेरे क्षेत्र के किसान भाई हैं वो इस बात से बिलकुल खफा हैं, बिल वापसी तो घर वापसी, अब रास्ते खुलने चाहिए, और इस क्षेत्र की जनता, छोटे कारोबारियों, दुकानदारों ने जो परेशानी उठाई है, इनके बारे में भी सोचना चाहिए। और दो कदम आगे बढ़कर संयुक्त मोर्चा ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद करना चाहिए।
ये आंदोलन किसी नेता ने नहीं बल्कि किसानों ने मिल जुड़कर लड़ने का काम किया। इस में मैं फिर कहूंगा, कुछ नेता जो बाहर से आए हुए नेता हैं जैसे यूपी के एक मेरे भाई हैं मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता, वे अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा में इतने पागल हो गए हैं जो गलत गलत बयान भी देने का काम करते हैं और इस आंदोलन को शुरू से ही नुकसान पहुंचाने का काम करते रहे हैं।
यानी किसान तो आंदोलन खत्म करना चाहते हैं। वो घर लौटना चाहते हैं। बॉर्डर खाली करना चाहते हैं। लेकिन कुछ किसान नेता आंदोलन खत्म ना करने पर अड़े हैं। तो इसका सीधा मतलब यही निकलता है। कि इन लोगों के सियासी टारगेट हैं। जिन्हें ये आंदोलन की आड़ में, किसानों के नाम पर, पूरे करने में जोर लगा रहे हैं।
1 तारीख को बैठक बुलाई गई है, चिट्ठी में हमने जो मांगे रखी हैं वो भी पूरी की जाए, अब एक तारीख को शिफ्ट हो गई है बैठक, 4 दिसंबर की बैठक ज्यों की त्यों है। इमरजेंसी कंडीशन के तहत 42 किसान जत्थेबंदियों के नुमाइंदे जिन्होंने सरकार से 11 दौर की बात की थी, उनकी 1 दिसंबर को स्पेशल मीटिंग है। 1 तारीख को 11 बजे होगी बैठक हमारी जो भी राय आती है वो हम एक बार बनाते हैं, उसके बाद वो राय skm में रखते हैं, जहां से वो पास होती है, हमने वो राय बना ली है और एक तारीख को एसकेएम में रखेंगे और वो पास की जाएगी।
उन्हें लग गया कि अब आंदोलन खत्म होने वाला है। अगर आंदोलन खत्म हो जाएगा तो उनका क्या होगा। इसलिए वो चाहते हैं कि आंदोलन किसी तरह चलता रहे। राकेश टिकैत किस तरह से बेचैन हैं, इसे समझिए आंदोलन खत्म ना हो, किसान घर वापस ना लौटें, इसके लिए वो हाथ-पैर मार रहे हैं। किसानों को सरकार का डर दिखा रहे हैं। ये भी साबित कर रहे हैं कि उनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षा नहीं है।
किसानों के घर लौटने पर सहमति बनने की बात सुनकर वो कल सिंघु बॉर्डर गए। उन्होंने कहा कि सरकार 4-5 तारीख तक आंदोलन खत्म करने की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि सब कोई टारगेट पर है, जो पहले घर जाएगा, वो जेल भी जाएगा। उन्होंने कहा कि MSP पर बात किए बिना कोई किसान यहां से घर नहीं जाएगा। जो चुनाव लड़ना चाहता है, उसे कोई रोक नहीं सकता, लेकिन वो चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पहले सरकार को धमका रहे थे। आंदोलन खत्म होने को अफवाह बता रहे हैं। अब कह रहे हैं कि जिसे जाना है जाए, आंदोलन चलता रहेगा। जो गुंडागर्दी करना चाहते हैं, उनकी गुंडागर्दी नहीं चलेगी। बहुत सह लिया किसान ने एक साल अपने दिमाग ठीक करके MSP पर गारंटी कानून बना दें। नहीं तो हम वहीं के वहीं हैं, 26 जनवरी दूर नहीं है। ये 26 जनवरी भी यहीं है और ये देश का 4 लाख ट्रैक्टर भी यहीं है। और ये देश का किसान भी यहीं है, अपने दिमाग ठीक करके बात कर लें।
राकेश टिकैत आंदोलन खत्म होने की बात को अफवाह बता रहे हैं। ये अफवाह शनिवार तक चलती रहेगी। जिसको जाना है वो जा सकता है, MSP के बिना किसान नहीं जाएगा। कोई नहीं जा रहा है, MSP के लिए पूरे देश में आंदोलन करेंगे।
इसी बीच सरकार ने क्या-क्या किया, उससे भी संकेत मिलते हैं
संसद सत्र के पहले दिन ही कृषि कानूनों की वापसी का बिल पास
संसद सत्र से ठीक पहले कहा कि पराली जलाना अपराध नहीं होगा
कृषि मंत्री ने कहा- MSP पर कमेटी बनेगी, किसान अब घर जाए
1-मुख्य मांग पूरी, अब आंदोलन का तुक नहीं
2-MSP पर कमेटी बनाने का पीएम से भरोसा
3-कमेटी में किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी हो सकते हैं
4-दूसरी मांगों पर भी सरकार का पॉजिटिव रुख
5-मुकदमे वापस लेने को राज्यों को निर्देश संभव
6-पंजाब के किसानों में कैप्टन अमरिंदर सिंह फैक्टर
7-विधानसभा चुनावों का फैक्टर
किसान आंदोलन के पीछे कैप्टन फैक्टर को भी समझने की जरूरत है। जिस वक्त पंजाब के किसान संगठन बॉर्डर पर बैठक कर रहे थे। उसी दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह चंडीगढ़ में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर से मिले। दोनों नेताओं के बीच करीब 30 मिनट तक बैठक चली
किसान आंदोलन के दौरान दोनों नेताओं में काफी नोंकझोंक हुई थी लेकिन इस बैठक में दोनों ने अपने मतभेद खत्म किए। बैठक के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बड़ी बात कही। कहा- आंदोलन 4 दिसंबर तक खत्म हो जाएगा। कैप्टन ने दावा किया कि कई किसान नेता उनके संपर्क में हैं।
इस मीटिंग के बाद खट्टर ने ये कहा था कि MSP की गारंटी का कानून बनाना मुमकिन नहीं। क्योंकि ऐसा हुआ तो सरकार पर जिम्मेदारी आ जाएगी कि अगर किसी का उत्पाद कोई नहीं खरीदता तो उसे सरकार खरीदे। सरकार जरूरत के हिसाब से ही खरीद सकती है। और सरकार को इतनी खरीद की जरूरत नहीं है।
सबसे पहले MSP के मुद्दे पर आज का अपडेट बता देते हैं। केंद्र सरकार ने किसानों के साथ फिर से बातचीत शुरू कर दी है। SKM के 3 किसान नेताओं के पास सरकार की तरफ से फोन आया था। MSP पर चर्चा के लिए सरकार ने किसान नेताओं से 5 नाम मांगे हैं। 4 दिसंबर की बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा ये नाम तय करेगा। ये 5 नेता MSP के मुद्दे पर सरकार के साथ चर्चा करेंगे।
जब कृषि कानून आए थे तो ये कहा गया था कृषि तो राज्यों का विषय है। इस पर राज्यों को कानून बनाने का अधिकार है। केंद्र सरकार का इस पर कानून बनाना गलत है। संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्यों और केंद्र के बीच अधिकारों के बारे में बताया गया है। इस अनुसूची में तीन लिस्ट हैं
Union List- संघ सूची- वो विषय जिनमें केंद्र को कानून बनाने का अधिकार है
State List- राज्य सूची- वो विषय जिनमें राज्य को कानून बनाने का अधिकार है
Concurrent List-समवर्ती सूची- वो विषय जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं
Union List में 97 विषय थे अब 100 विषय हैं।
State List में 66 विषय थे, अब 61 विषय हैं।
Concurrent List में 47 विषय थे, अब 52 विषय हैं।
State List के 14वें नंबर पर कृषि है, 18वें नंबर पर Land है, 26वें नंबर पर राज्य की सीमा में Trade and Commerce है, 28वें नंबर पर Markets and Fairs है।
Concurrent List के -33वें नंबर पर Trade and Commerce, Production, Supply, Distribution है। जिनमें अनाज, तेल सहित कृषि उत्पादों हैं। किसी भी उद्योग का कोई भी प्रोडक्ट हो, वो भी इस लिस्ट में आता है।
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