बेंगलुरु : भारत के हेटेरो लैब ने शुक्रवार को कहा कि उसने मर्क की कोविड-19 दवा मोलनूपिरावीर के आपात इस्तेमाल की इजाजत स्थानीय नियामक से मांगी है। लैब का कहना है कि इस दवा के लंबे समय तक चले परीक्षण में यह बात सामने आई है कि इसे लेने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत कम पड़ी और कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीज जल्दी ठीक हुए। मोलनूपिरावीर एक एंटीवायरल ड्रग है जिसे मर्क एंड कंपनी रिजबैक बायोथेरापेटिक्स बना रही है। इस दवा का इस्तेमाल कोरोना के ऐसे मरीजों के उपचार में किया जाएगा, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं समझी जाएगी।
कंपनी ने भारतीय दवा कंपनियों के साथ किया है करार
समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक अपनी कोरोना दवा के उत्पादन बढ़ाने एवं इसके परीक्षण के लिए मर्क ने मार्च एवं अप्रैल के बीच सिपला एवं डॉ. रेड्डी की प्रयोगशाला सहित भारत की कई दवा कंपनियों के साथ बात की। कंपनी कोरोना महामारी की दूसरी लहर में अपनी दवा की उपलब्धता बनाने के लिए अपने प्रयास तेज किए। मर्क ने गत अप्रैल में कहा कि इन इस सहभागिता ने कंपनियों को मोलनूपिरावीर बनाने एवं उसकी आपूर्ति भारत में करने का लाइसेंस दिया। स्थानीय नियामकों से दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी से 100 से ज्यादा निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में इस दवा की आपूर्ति का रास्ता साफ हुआ।
हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए है यह दवा
हेटेरो ने कहा कि मोलनूपिरावीर का अंतिम चरण का परीक्षण भारत में कोविड-19 के लिए समर्पित अस्पतालों में किया गया। लैब का कहना इस अंतिम चरण के परीक्षण में कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों में दवा की एफिकेसी एवं सुरक्षा को जांचा-परखा गया। परीक्षण का डाटा बताता है कि एंटीवायरल ड्रग मरीजों पर असरदार साबित हुई। यह पाया गया कि जिन मरीजों को यह दवा दी गई उन्हें अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत कम पड़ी और वे संक्रमण से ठीक भी जल्दी हुए।
देश में तीसरी लहर की है आशंका
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई है। अप्रैल और मई के महीनों में इस महामारी ने देश में भीषण रूप धारण कर लिया। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ अब तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं।
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