नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन है। गत 19 जुलाई से शुरू हुए सत्र में अभी कोई काम नहीं हो सका है। अब तक दोनों सदन विपक्ष के हंगामे और शोर-शराबे के भेंट चढ़ते रहे हैं। बकरीद की छुट्टी के बाद गुरुवार से दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू होगी। इस बीच, विपक्ष ने कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिया है। कांग्रेस के सांसदों दीपेंदर सिंह हुड्डा और प्रताप सिंह बाजवा किसान आंदोलन पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। जबकि मनीष तिवारी ने पेगासस जासूसी मामले में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। विपक्ष इन दोनों मसलों पर सरकार को घेरना चाहता है। पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष के सदस्य ज्यादा हमलावर हैं। विपक्ष इस कथित जासूसी कांड की जांच संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) से कराना चाहता है।
विपक्ष के शोर-शराबे और हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित हो गई है। कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल के सांसदों ने तख्तियां लेकर संसद परिसर में प्रदर्शन किया।
जासूसी कांड की जांच के लिए जेपीसी की जरूरत नहीं-थरूर
कथित जासूसी कांड की जांच जेपीसी से कराने की मांग पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि इसकी जांच जेपीसी से कराने की जरूरत नहीं, सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति इसकी जांच करने में सक्षम है। सूचना प्रौद्योगिसी पर समिति की अगुवाई करने वाले कांग्रेस नेता ने कहा कि खुलासे की जांच करने के लिए जेपीसी गठित करने की जरूरत नहीं है।
मंगलवार को नहीं हो पाया कोई कामकाज
मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, कांग्रेस और टीएमसी के सांसद हाथों में पेगासस मामले की जांच के लिए हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करने लगे। विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही मुश्किल से पांच मिनट चल सकी। विपक्ष का व्यवधान देख सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा में भी विपक्ष के हंगामे के चलते कोई कामकाज नहीं हो सका। यहां भी सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।
पेगासस मामले की निष्पक्ष जांच हो: पायलट
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पेगासस जासूसी मामले की तुरंत प्रभाव से निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि इसके लिए जवाबदेही तय हो। पायलट ने बुधवार को कहा कि भारत सरकार इसकी जांच करे, उससे सच कभी सामने आयेगा नहीं.. इसलिये कांग्रेस की भी मांग है कि इसकी जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के स्तर पर समयबद्ध तरीके से हो। उन्होंने कहा कि इस मामले की तह तक जाने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि कि फ्रांस की सरकार ने तो इस मामले की गंभीर जांच के आदेश भी दिए हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘कौन लोग, कौनसी सरकार, कौन व्यक्ति इसके लिये जिम्मेदार थे? जवाबदेही तय करने के लिए तुरंत प्रभाव से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। चाहे वह संयुक्त संसदीय कमेटी हो, चाहे उच्चतम न्यायालय के संरक्षण में जांच की जाए ताकि सच्चाई सामने आये।’
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