नई दिल्ली : कोविड-19 के संकट का साया संसद के मानसून सत्र पर भी नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो इस सत्र की अवधि छोटी होगी और इसकी शुरुआत 14 सितंबर से हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि संसद का यह मानसून सत्र चार सप्ताह चलेगा। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवारी एक-एक दिन के अंतराल पर चलेगी। सत्र शूरू होने के बारे में जानकारी संसदों को दी जा रही है और उनसे अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने के लिए कहा जा रहा है। इससे पहले मानसून सत्र का आयोजन ऑन लाइन कराने की चर्चा थी।
कोरोना संकट के बीच मानसून सत्र
कोरोना के प्रकोप के बीच यह पहला मौका है जब संसद का सत्र आयोजित हो रहा है। सरकार की पूरी कोशिश सांसदों को इस महामारी के संक्रमण से आने से बचेनी की है। इसके लिए संसद भवन में एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो संसद के दोनों सदनों में बड़े आकार वाले डिस्पले स्क्रीन, ऑडियो कॉन्सोल और एयर कंडीशनिंग सिस्टम लगाए गए हैं।
सांसदों को 15 दिन पहले सत्र के बारे में बताया जाता है
कुछ दिनों पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि मानसून सत्र के कार्यक्रम के बारे में फैसला करने के लिए संसदीय मामलों पर कैबिनेट समिति शीघ्र बैठक करेगी। जोशी ने कहा, 'मैं अगले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करूंगा और इसके बाद सीसीपीए की बैठक बुलाई जाएगी।' सूत्रों का कहना है कि सत्र के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिए जाने के बाद सांसदों को कम से कम 15 दिन पहले इसके बारे में सूचित किए जाने की परंपरा रही है।
सरकार को घेरने की कोशिश करेगा विपक्ष
संसद का यह मानसून सत्र हंगामेदार रह सकता है। क्योंकि विपक्ष सत्र के दौरान फेसबुक विवाद, लद्दाख गतिरोध और कोरोना संकट मामले में सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा। फेबसुक विवाद को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच बीते दिनों जुबानी जंग देखने को मिली है। कांग्रेस पार्टी इन मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश करेगी। जबकि सरकार का प्रयास महत्वपूर्ण विधेयकों को दोनों सदनों में पारित कराने पर होगा।
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