नई दिल्ली: देश में जब से कोरोना की नई लहर शुरू हुई है, तब से कई जगह ऑक्सीजन की कमी सामने आई है। हालात ये हो गई है कि ऑक्सीजन की कमी के चलते कई जानें चली गईं। कई सरकारों ने ऑक्सीजन की कमी की बात कही। बाद में केंद्र सरकार ने इस लेकर कई फैसले किए। आखिर में सवाल है कि कोरोना की इस लहर में ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा क्यों पड़ी? नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने इसका जवाब दिया है।
उन्होंने कहा है कि भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर में किसी भी अन्य लक्षण की तुलना में अधिक रोगियों को सांस की तकलीफ का सामना करना पड़ा है, जिससे ऑक्सीजन की अधिक आवश्यकता पड़ी है। पहली लहर में शरीर में दर्द जैसे अन्य लक्षण अधिक थे।
कई मरीजों को सांस लेने में दिक्कत
दोनों लहरों में 70 प्रतिशत से अधिक रोगियों की आयु 40 वर्ष से अधिक है। ICMR के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा, 'इस वेव में ऑक्सीजन की ज्यादा आवश्यकता पाई गई। लोगों में सांस की दिक्कत ज्यादा पाई गई है। दोनों वेव में मृत्यु दर में कोई अंतर नहीं देखा गया है। दोनों ही वेव में 70 प्रतिशत लोग 40 की उम्र के थे।' इस साल मार्च-अप्रैल में 47.5% मरीजों को सांस लेने में कठिनाई हुई।
जरूरत होने पर ही दें ऑक्सीजन
राज्यों द्वारा ऑक्सीजन की कमी को लेकर उठाई गई मांग पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा, 'राज्य सरकारों को मांग को नियंत्रण में रखना चाहिए। डिमांड-साइड मैनेजमेंट उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सप्लाई-साइड मैनेजमेंट। कोविड के प्रसार को रोकना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है और उन्हें इस जिम्मेदारी को पूरा करना चाहिए। पेशेंट को जितना जरूरत है उतना ही ऑक्सीजन लगाना चाहिए। कई जगह से वेस्टेज के साथ ही, पेशेंट को जरूरत ना होते हुए भी ऑक्सीजन लगाने की खबर आ रही है। केंद्र सरकार राज्यों के साथ कंधे से कंधा लगाकर सहायता में लगी हुई है। राज्यों को भी अपनी ओर से, महामारी के फैलाव को रोकने के लिए अहम कदम उठाना आवश्यक होगा।'
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