नई दिल्ली। 22 नवंबर 1939 को सैफई में सुघर सिंह और मूर्ति देवी की दूसरी संतान मुलायम सिंह यादव थे। आज जब वो 81 साल के हो रहे हैं तो उनकी जिंदगी के कई अनछुए पहलू हैं जिसे जाने की उत्सुकता रहती है। करीब 161 सेमी लंबे मुलायम सिंह को पहलवानी का शौक था। कुश्ती के दांवपेंच के जरिए वो अखाड़े में अपने प्रतिद्वंदियों को पटखनी दे देते थे। लेकिन पेशे के तौर पर शिक्षक की नौकरी चुनी। शिक्षक होते हुए उनके दिल में राजनीति के हिलोरे मार रहे थे और कुछ समय के बाद राजनीति की सड़क पर अपनी साइकिल दौड़ा दी। अथक और अकथ परिश्रम के साथ साथ दांवपेंच के नियमों का इस्तेमाल राजनीति की पिच पर भी किया और उसका उन्हें फायदा भी मिला। विधानसभा से मंत्री, सीएम के साथ साथ देश के रक्षा मंत्री की कुर्सी भी संभाली
1967 से राजनीतिक करियर की शुरुआत
1967 से मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर शुरू हुआ और वो उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए। करीब 10 वर्ष बाद 1977 में राज्यमंत्री बने। सरकार का हिस्सा होने के बाद 1980 में लोकदल के अध्यक्ष बने। राजनीति की सड़क पर वो फर्राटा भरते रहे और 1989 में यूपी के सीएम पद पर आसीन हुए। 1993 में एक बार उन्हें फिर बीएसपी के सहयोग से यूपी की कमान संभलाने का मौका मिला।लेकिन आपसी मनमुटाव की वजह से सरकार लंबे समय तक नहीं चल सकी।
मंत्री, सीएम और भारत के रक्षा मंत्री बने
1996 में राज्य की सियासत से हटकर वो देश की राजनीति का हिस्सा बने और 1999 में रक्षा मंत्री बने। ऐसा कह जाता है कि उनके पास पीएम बनने का मौका आया। लेकिन लालू प्रसाद यादव की वजह से कुर्सी हाथ से जाती रही। 2003 में उन्हें एक बार फिर यूपी की कमान संभालने का मौका मिला। सियासत के सफर में उनकी जीत का कारवां यूं ही जारी है, हालांकि इस समय वो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
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