26/11 Mumbai attack : साल 2016 में उरी में सेना के कैंप पर और 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमले के बाद भारत ने जिस तरह से कड़ी प्रतिक्रिया दी, उसे देखकर लोगों के जेहन में आज सवाल उठता है कि आखिर मुंबई हमले 26/11 के बाद भारत ने पाकिस्तान और आतंकवादियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई क्यों नहीं की? उरी में पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले में 19 सैनिकों की जान गई जबकि पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए। इन दोनों हमलों के बाद भारत ने पीओके में आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की जबकि पुलवामा के बाद वायु सेना ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण केंद्र पर सर्जिकल स्ट्राइक की।
सेना की इन कार्रवाइयों ने एक मजबूत भारत की छवि दुनिया के सामने पेश की। पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया गया कि इस तरह के हमलों के परिणाम उसे भुगतने होंगे। यह बदला हुआ भारत है जो अब घर में घुसकर मारता है। बात करते हैं 26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधारी मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले की। पाकिस्तान से आए लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादी मुंबई पर कहर बनकर टूटे। इन आतंकवादियों ने चार दिनों तक मुंबई में खूनी खेल खेला। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताज होटल, ओबराय होटल, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा, सेंट जेवियर कॉलेज सहित अन्य जगहों पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबार कर निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या की और उन्हें बंधक बनाया। इन हमलों में नौ आतंकवादी सहित कुल 175 लोग मारे गए जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए।
देश पर इस पहली बार इस तरह का आतंकवादी हमला हुआ। पूरा देश टेलिविजन पर आतंकियों की दहशतगर्ती और उनके आतंक को देखा। मुंबई पुलिस ने जिंदा आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा। इस हमले के बाद दुनिया भर में पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब हुआ। देश भर में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सैन्य कार्रवाई की मांग की जाने लगी। लोग इस हमले को लेकर आक्रोशित थे। वे पाकिस्तान के खिलाफ एक सख्त एवं निर्णायक कार्रवाई चाहते थे। भारत ने सैन्य कार्रवाई सहित अपने सभी विकल्पों को खुला रखा था। इन सभी विकल्पों पर भारत सरकार ने कई बार उच्च स्तरीय बैठक की। सभी विकल्पों पर विचार करने के बाद पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई नहीं करने का फैसला हुआ। मनमोहन सरकार ने पाकिस्तान को कूटनीतिक एवं अन्य तरीकों से अलग-थलग करने की रणनीति पर आगे बढ़ी।
किसी तरह की सैन्य कार्रवाई करने से पहले सरकारें अपने सभी विकल्पों पर विचार करती हैं। नफे-नुकसान का आंकलन करती हैं। जाहिर है भारत सरकार ने भी किया होगा। तो ऐसा क्या हुआ कि इतने बड़े भीषण आतंकवादी हमले के बाद भारत ने मुंबई हमले के दोषियों और आतंकवादियों को भेजने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सैन्य कार्रवाई क्यों नहीं की। इसका जवाब साल 2008 के समय भारत के विदेश सचिव रहे शिवशंकर मेनन ने अपनी किताब 'च्वासेज : इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियन फॉरेन पॉलिसी' में देने की कोशिश की है। मेनन 2006 से 2009 तक भारत के विदेश सचिव रहे। साल 2010 में उन्हें पीएम मनमोहन सिंह का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया। वह साल 2003 से 2006 तक पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त भी रहे।
मेनन ने कहा कि उनसे यह सवाल बार-बार पूछा गया कि 26/11 के बाद भारत ने पाकिस्तान पर हमला क्यों नहीं किया? मेनन कहते हैं कि भारत ने हमला क्यों नहीं किया इसका एक सीधा और स्पष्ट जवाब है कि सरकार में उच्चतम स्तर पर कई बैठकें हुईं। इन बैठकों में सैन्य कार्रवाई सहित सभी विकल्पों पर मंथन हुआ। इन बैठकों में अंतिम फैसला लेने वालों ने यही निर्णय किया कि पाकिस्तान पर हमला करने से ज्यादा उस पर कार्रवाई न करते हुए ज्यादा हासिल किया जा सकता है।
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