नई दिल्ली: उत्तराखंड के हरिद्वार में हुए कुंभ मेले में लाखों लोग एकत्र हुए। दोनों शाही स्नानों में लाखों लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई। लेकिन कोरोना वायरस के चलते इसे लेकर कई सवाल भी उठे। कुंभ मेला क्षेत्र में 10 से 14 अप्रैल के बीच 1700 से अधिक लोगों के कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने की रिपोर्ट सामने आई। 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल को मेष संक्रांति और बैसाखी के पर्व पर हुए दोनों शाही स्नानों में गंगा में डुबकी लगाने वाले 48.51 लाख श्रद्धालुओं में से ज्यादातर लोग बिना मास्क पहने और सामाजिक दूरी रखने जैसे कोविड से बचाव के नियमों का उल्लंघन करते नजर आए।
इसी को लेकर मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा, 'कुंभ मेले से अपने-अपने राज्यों में लौटने वाले लोग कोरोना को 'प्रसाद' के रूप में वितरित करेंगे। इन सभी लोगों को उनके खर्च पर उनके-उनके राज्यों में क्वारंटीन होना चाहिए। मुंबई में भी हम उन्हें उनकी वापसी पर क्वारंटीन में रखने की सोच रहे हैं।'
अब कुंभ प्रतीकात्मक होना चाहिए: पीएम मोदी
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जूना अखाड़ा के स्वामी अवधेशानंद गिरि से बातचीत की और आग्रह किया कि कोरोना संकट में अब कुंभ प्रतीकात्मक होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद स्वामी अवधेशानंद ने लोगों से कुंभ स्नान के लिए बड़ी संख्या में नहीं आने का आग्रह किया और नियमों का पालन करने को कहा। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान का हम सम्मान करते हैं ! जीवन की रक्षा महत पुण्य है। मेरा धर्म परायण जनता से आग्रह है कि कोविड की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए नहीं आएं एवं नियमों का निर्वहन करें!।'
कोविड-19 के कारण एक माह की अवधि के लिए सीमित कर दिए गए महाकुंभ के तीन शाही स्नान- महाशिवरात्रि, सोमवती अमावस्या और बैसाखी हो चुके हैं जबकि रामनवमी के पर्व पर आखिरी शाही स्नान होना है। कुंभ के लिए हरिद्वार पहुंचे साधु-संत और श्रद्धालु खासी संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं।
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