मुम्बई : विवादास्पद इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक के खिलाफ यहां की एक अदालत ने नए सिरे से गैर-जमानती वारंट जारी किया है। मलेशिया में रह रहे भगोड़े नाइक के खिलाफ यह वारंट 2016 के एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर जारी किया गया है, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है। ईडी ने इसी सोमवार को इस संबंध में एक अर्जी दी थी, जिस पर अदालत ने नाइक के खिलाफ नया गैर-जमानती वारंट जारी किया है।
नाइक के खिलाफ यह वारंट मनी लॉन्ड्रिंग कानून से जुड़ी विशेष अदालत के न्यायाधीश पीपी राजवैद्य ने जारी किया। मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला 193 करोड़ रुपये का है। नाइक को इस मामले में जुलाई के आखिर में भी तलब किया गया था, जिसमें वह विफल रहा था। उसने बीते सप्ताह अपने वकील के माध्यम से अदालत में एक अर्जी देकर पेशी के लिए दो महीने का समय मांगा था, लेकिन वह खारिज हो गई। इसके बाद ही ईडी ने अदालत में अर्जी देकर नाइक के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का अनुरोध किया था।
नाइक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग कर रही ईडी ने 2016 के इस मामले में 193.06 करोड़ रुपये की पहचान अपराध से अर्जित रकम के तौर पर की है। उस पर अपने उग्र भाषणों से चरमपंथ को बढ़ावा देने का आरोप भी है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक कैफे में जुलाई 2016 में हुए आतंकी हमले को अंजाम देने वाले एक हमलावर के नाइक के भाषणों से प्रभावित होने की बात सामने आई थी, जिसके बाद से ही वह फरार है। पिछले करीब तीन साल से वह मलेशिया में रह रहा है, जहां उसे स्थाई निवासी का दर्जा हासिल है।
नाइक ने हालांकि मलेशिया में भी भड़काऊ भाषण दिया है, जिसके कारण वहां उसकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मलेशिया में रह रहे हिन्दू और चीनी अल्पसंख्यकों को लेकर उसकी टिप्पणी के खिलाफ वहां बड़े पैमाने पर नाराजगी है और लोग उसे देश से बाहर करने की मांग भी कर रहे हैं। मलेशियाई प्रशसान ने इस बारे में उससे लंबी पूछताछ की है तो उसके सार्वजनिक भाषणों पर भी रोक लगा दी है। भारत नाइक के प्रत्यर्पण के लिए लगातार मलेशिया की सरकार के संपर्क में है।
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