नई दिल्ली : भारत के मुस्लिम संगठनों ने तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने के सऊदी अरब के फैसले की आलोचना की है। मुस्लिम संगठनों ने सऊदी अरब के इस कदम को 'अन्यायपूर्ण' और इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला बताया है। दरअसल, जमात से जुड़े सदस्यों का अंतिम जत्था एक सप्ताह पहले भारत से रवाना हुआ है। जमात के सदस्य करीब 21 महीने तक भारत में रहे। कोरोना महामारी की शुरुआत में सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का उल्लंघन करने पर इस धार्मिक संगठन से जुड़े कई लोगों के खिलाफ भारत में केस दर्ज हुआ। अब सऊदी अरब ने अपने यहां इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया है। सऊदी ने तबलीगी जमात को 'आतंकवाद का एंट्री गेट' तक बताया है।
जमात के करीब 600 विदेशी सदस्यों में शामिल थाईलैंड के नौ नागरिक जेल में बंद थे। गत शुक्रवार को उनकी जेल की सजा पूरी हुई। इसके बाद वे हापुड़ से स्वदेश रवाना हुए। सऊद अरब के इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने मौलवियों से कहा है कि वे शुक्रवार को जुमे के नमाज के दिन अपनी मस्जिदों से समूह के 'खतरे' के बारे में लोगों को आगाह करें। हालांकि, कई मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सऊदी अरब का ट्वीट नार्थ अफ्रीकी धार्मिक समूह अल अहबाब के लिए था लेकिन यह बात तब्लीगी पर भी लागू होती है।
तब्लीगी जमात की स्थापना भारत में 1926 को हुई। इसे एक रूढ़िवादी मुस्लिम धार्मिक संगठन माना जाता है। यह संगठन मुस्लिमों से धर्म के अनुरूप अपना जीवन व्यतीत करने पर जोर देता है। मुस्लिम समाज का पहनावा, उनका व्यवहार एवं धार्मिक क्रियाकलाप कैसे होने चाहिए, इस बारे में संगठन निर्देश देता आया है। बताया जाता है कि इस संगठन के दुनिया भर में करीब 40 करोड़ सदस्य हैं। ये विशेष रूप से अपनी गतिविधियां मस्जिदों के आस-पास करते हैं। इसके सदस्य इस्लामिक धार्मिक गतिविधियों का प्रचार प्रसार करने के लिए दुनिया भर में यात्राएं करते हैं। भारत में इस संगठन का केंद्र दिल्ली के निजामुद्दीन में है।
सऊदी अरब में यह संगठन तीस साल से ज्यादा समय से प्रतिबंधित है लेकिन इसे आतंकवाद से पहली बार जोड़ा गया है। समझा जाता है कि इसके बाद संगठन की धार्मिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा। पश्चिम एशिया में ओमान एवं कतर तब्लीगी जमात को अपने यहां गतिविधियां करने की अनुमति देते हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब के इस फैसले पर दारूल उलूम देवबंद ने गत रविवार को एक बयान जारी किया। इस बयान में कहा गया है कि संगठन के धार्मिक क्रियाकलापों को आतंकवाद के साथ जोड़ना आधारहीन है। देवबंद ने सऊदी अरब से अपने प्रतिबंध की समीक्षा करने के लिए कहा है। जमात ए इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा कि सऊदी अरब का यह फैसला इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, 'यह अन्यायपूर्ण है...ऐसा वे पहले भी कर चुके हैं। वे सुधारवादी आंदोलन के साहित्य पर प्रतिबंध लगा चुके हैं।'
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