N Biren Singh: एन बीरेन सिंह ने इंफाल में मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। बीरेन सिंह ने जेपी नड्डा और अन्य भाजपा नेताओं की उपस्थिति में दूसरी बार मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। नेमचा किपजेन, वाई. खेमचंद सिंह, बिस्वजीत सिंह, अवंगबौ न्यूमाई और गोविंदास कोंथौजम ने कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ ली। शपथ लेने के बाद बीरेन सिंह ने कहा कि मेरी सरकार का पहला कदम इसे भ्रष्टाचार मुक्त राज्य बनाना होगा। मैं राज्य से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए दिन-रात काम करूंगा। अगला कदम यह होगा कि राज्य से किसी भी तरह के मादक पदार्थ संबंधी मामले को खत्म किया जाए। तीसरा मैं यह देखने की कोशिश करूंगा कि राज्य में सक्रिय सभी विद्रोहियों को बातचीत की मेज पर लाया जाए और संवाद हों। ये तीनों मेरे प्राथमिक कर्तव्य होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीरेन सिंह को बधाई देते हुए ट्वीट किया कि श्री एन बीरेन सिंह जी को मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई। मुझे विश्वास है कि उनकी टीम और वह मणिपुर को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे और पिछले पांच वर्षों में किए गए अच्छे कामों को जारी रखेंगे।
रविवार को मणिपुर के राज्यपाल एल गणेशन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक दल के नेता और कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। इससे पहले, केंद्रीय मंत्रियों निर्मला सीतारमण और किरेन रिजिजू ने पार्टी की ओर से राज्यपाल को एक पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया कि एन बीरेन सिंह को सर्वसम्मति से 32 विधायकों के साथ भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया है।
राजभवन के बयान में कहा गया है कि दो राजनीतिक दलों जनता दल (यूनाइटेड) के छह सदस्यों ने, कुकी पीपुल्स एलायंस के दो सदस्यों ने तथा एक निर्दलीय ने भाजपा को बिना शर्त अपना समर्थन दिया और उनके समर्थन पत्र भी राज्यपाल को सौंपे गए हैं। इससे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पास 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में 41 की संख्या होगी और दो तिहाई बहुमत होगा।
मणिपुर में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 60 सदस्यीय सदन में 32 सीट जीतकर सत्ता में वापसी की है। भाजपा ने 2017 के चुनाव में केवल 21 सीट हासिल की थी, लेकिन वह कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में करने में सफल रही, जिससे पार्टी के सदस्यों की संख्या 28 हो गई और बीरेन सिंह ने मणिपुर में पहली बार भाजपा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
ऐसा है एन बीरेन सिंह का सफर
सिंह ने फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर अपना सफर शुरू किया और फिर सीमा सुरक्षा बल में उन्हें नौकरी मिल गई। उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा और स्थानीय भाषा के अखबार ‘नहारोल्गी थोउदांग’ के संपादक बने। बाद में वह राजनीति के मैदान में कूद गए। वह पहली बार 2002 में डेमोक्रेटिक रेवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी के टिकट पर विधानसभा के सदस्य बने। सिंह ने पहला चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया और 2003 में राज्य की तत्कालीन ओकराम इबोबी सिंह नीत सरकार में सतर्कता राज्य मंत्री बने और वन तथा पर्यावरण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला। सिंह इस सरकार में इबोबी सिंह के विश्वासपात्र बने और 2007 में फिर से निर्वाचित होने के बाद सिंचाई और खाद्य नियंत्रण, युवा मामलों और खेल तथा उपभोक्ता मामलों और जनापूर्ति विभाग के मंत्री बने। बीरेन सिंह 2012 में तीसरी बार निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे लेकिन इबोबी सिंह से उनका रिश्ता बिगड़ गया था और उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के खिलाफ विद्रोह कर दिया। बाद में उन्होंने मणिपुर विधानसभा की सदस्यता और मणिपुर प्रदेश कांग्रेस समिति की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और अक्टूबर 2016 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। 2017 में वह भाजपा के टिकट पर रिकॉर्ड चौथी बार हेईगांग सीट से निर्वाचित हुए और पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।
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