नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन अब तीसरे महीने में प्रवेश कर रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि आंदोलन अंजाम हासिल करने तक जारी रहेगा। इन सबके बीच भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत और प्रवक्ता राकेश टिकैत के बयानों पर ध्यान देने की जरूरत है। सबसे पहले राकेश टिकैत का क्या कहना है उसे पढ़ने और समझने की जरूरत है। वो कहते हैं कि अगर सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो किसान अपनी खड़ी फसलों में आग लगा देंगे। इसके साथ किसानों से अपील की भले ही आपको खेती के लिए ज्यादा मजदूरों को लगाना पड़े आप लगाएं लेकिन आंदोलन को कमजोर नहीं होने देना है।
क्या कहा नरेश टिकैत ने
कुछ इसी तरह के टोन के साथ उनके भाई नरेश टिकैत कहते हैं कि अगर किसी शख्स ने बीजेपी के नेताओं को किसी कार्यक्रम में बुलाया तो उसे सजा भुगतना होगा। वो कहते हैं कि आप इसे आदेश या सलाह मानो। अगर यह पता चला कि किसी भी किसान ने बीजेपी के नेताओं को बुलाया है तो उसे अगले दिन 100 लोगों को खाना भेजना पड़ेगा। नरेश टिकैत कहते हैं कि अगर बीजेपी के नेताओं के साथ किसी तरह की बदसलूकी होती है तो वो उसका आरोप भारतीय किसान यूनियन पर मढ़ेंगे। ऐसे में बेहतर होगा कि लोग अपने घरों में रहें। आप लोग इसे बहिष्कार समझ सकते हैं।
बीजेपी सांसदों को किसानों से सीधे रूबरू होने की सलाह
अब यह भी समझना जरूरी है कि आखिर इस तरह के बयान भारतीय किसान यूनियन की तरफ से क्यों दिए जा रहे हैं। दरअसल कृषि कानूनों के संदर्भ में हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के घर पर हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सांसदों की बैठक हुई थी। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कहा कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर अब जनता के साथ सीधे रूबरू होने का वक्त है। सरकार की तरफ से जो बातें कहीं गई हैं या पीएम नरेंद्र मोदी के संदेश को स्पष्ट तौर पर अब किसानों को मिलकर बताने की जरूरत है ताकि संदेह के जिन बादलों का निर्माण किया जा रहा है उससे होने वाली संकट की बारिश को रोका जा सके।
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