छत्तीसगढ़ में बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमा के साथ लगते जंगल में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शनिवार को पांच सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हो गए थे। पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ के बाद लापता हुए 18 जवानों में से 17 के पार्थिव शरीर रविवार को मिले, जिससे इस मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों की संख्या बढ़कर 22 हो गई, इस घटना में 30 जवान घायल हुए हैं।
बीजापुर में हुए जबर्दस्त नक्सली हमले में 22 जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया हैं, वहां पर नक्सली हमले वैसै नई बात नहीं है लेकिन इस बार का हमला बेहद भयानक था सवाल यही कि आखिर इतनी बड़ी मुठभेड़ के पीछे किसकी साजिश है? और कौन है इस भीभत्स हमले का मास्टरमाइंड?
बीते एक दशक में यह सबसा बड़ा नक्सली हमला है बताते हैं कि इस मास्टरमाइंड का नाम माड़वी हिडमा (Hidma) है पुलिस ने इस पर 25 लाख का इनाम घोषित किया है। माड़वी हिडमा को कई नामों से भी जाना जाता है और यह कई नक्सल प्रभावित राज्यों की पुलिस के लिए मोस्टवांटेड नक्सली बताया जाता है उसे संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे नाम भी दिए गए हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों में नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले खूंखार नक्सली हिडमा का जन्म सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में हुआ था इस गांव में पहुंचने के लिए आज भी ना तो सड़कें हैं और ना ही कोई अन्य सुविधा बताते हैं कि यह गांव दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों से घिर हुआ है।
सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में नक्सल गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सभी तरीके की योजनाएं और उन्हें कैसे अंजाम देना है ये रणनीति यहीं पर तैयार होती है, कहा जाता है कि आज भी यहां पर नक्सलियों की जनताना सरकार की तूती बोलती है। हिडमा का माओवादी संगठनों में कद काफी बड़ा है।
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो नक्सली हिडमा ने वैसे तो खास पढ़ाई नहीं की है बावजूद इसके वो फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोल लेता है साथ ही कहते हैं कि हिडमा अपने साथ हमेशा एक नोटबुक लेकर चलता है, जिसमें वह अपने नोट्स बनाता रहता है ताकि किसी भी रणनीति को बनाने में आसानी रहे।
बताते हैं कि साल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की मौत में हिडमा की भूमिका थी वहीं साल 2013 में हुए जीरम हमले में जिसमें कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोगों की मौत हो गई थी उसमें भी हिडमा की अहम भूमिका बताई जाती है इसके अलावा 2017 में बुरकापाल में हुए हमले में भी हिडमा ही की रणनीति थी गौर हो कि इस नृशंस हमले में 25 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे।
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