महाराष्ट्र की सियासत का नया बाहुबली, शह और मात के खेल में सब पर भारी पड़े देवेंद्र फडणवीस

देश
रविकांत राय
रविकांत राय | PRINCIPAL CORRESPONDENT
Updated Jun 30, 2022 | 14:25 IST

सियासत में संभावनाओं के दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं। 2019 में नाटकीय घटनाक्रम में जिस तरह से देवेंद्र फडणवीस को कुर्सी मिली और गई वो भारत की राजनीति में ना भुलाने वाला प्रसंग बन गया। फडणवीस की कुर्सी उस समय भले ही चली गई थी। लेकिन उन्होंने गांठ बांध ली थी कि एक ना एक दिन वो महाराष्ट्र की गद्दी पर फिर काबिज होंगे।

Maharashtra Crisis, Devendra Fadnavis, BJP, Sharad Pawar, Uddhav Thackeray, Shiv Sena, NCP, Congress
देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र की सियासत का नया बाहुबली 

मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं लौटकर वापस आऊंगा, महाराष्ट्र की सियासत में देवेन्द्र फडणवीस का यह शेर इन दिनों बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। देवेन्द्र फडणवीस ने यह शेर महाराष्ट्र विधानसभा के पटल पर बोला था विधानसभा चुनाव में नम्बर वन की पार्टी होने के बावजूद वो मुख्यमंत्री नहीं बन पाए और बीजेपी -शिवसेना की राहें जुदा हो गई थी। ठीक तीन साल बाद समय का चक्र बदला जिसमें उद्धव ठाकरे को उनकी ही सेना से मात दी। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई और उनको कानों कान भनक तक नहीं लगी, मीडिया भले ही इस परिवर्तन के पीछे एकनाथ शिंदे को नायक बता रहा हो, लेकिन असली पटकथा इस कहानी की तो देवेंद्र फडणवीस ने ही लिखी थी। चाल ऐसी की शिवसेना के हाथ से न सिर्फ सत्ता गई बल्कि प्रतीत ऐसा हो रहा है की उद्धव ठाकरे को बाला साहेब की विरासत से भी हाथ धोना पड़ सकता है यानी पार्टी भी उनके हाथ से जा सकती है।

2019 की वो चूक लेकिन इस दफा
2019 में देवेंद्र फडणवीस से एक राजनीतिक चूक हुई थी जिसकी टीस उनके मन मे थी, 1 जून 2022 मौका था महाराष्ट्र में शतरंज टूर्नामेंट के उद्घाटन का  इस मौके पर उन्होंने कहा की खेल को अच्छे से खेलो की विरोधी को आपकी चाल की भनक तक न लगे और हुआ भी वही।  फडणवीस 1 साल पहले से ऑपरेशन कमल 2.0 पर काम कर रहे थे और शिवसेना को भनक तक नहीं लगी और उन्होंने साबित कर दिया की वो महाराष्ट्र की सियासत के नए महारथी है, जिनमे पवार जैसे दिग्गज को मात देने की कला है फिर उद्धव क्या चीज हैं। बीजेपी इस बार अपना हर कदम फूंक फूंक कर रख रही थी, सारे खेल के पीछे वो थी लेकिन वो पर्दे के सामने तब तक नहीं आना चाहती थी जब तक उसे ये न लग जाए की अब सरकार अल्पमत में आ गई है और उसके गिरने की संभावना प्रबल है। इसलिए देवेंद्र लगातार बीजेपी अध्यक्ष और अमित शाह के संपर्क में बने रहे लागातर उनको हर पल का अपडेट देते रहे और सही समय का इंतजार करते रहे।


इंतजार के बाद..

सूत्रों के मुताबिक़ कुछ समय पहले किसी मुद्दे पर आदित्य ठाकरे ने भी शिंदे को अपमानित किया था जिसके बाद शिंदे ने शिवसेना के अंदर ही अंदर फड़नवीस के इशारों पर खेल शुरू कर दिया। और रातों ही रात शिंदे के नेतृत्व में विधायकों को बॉर्डर पार करवा कर सूरत पहुंचा दिया और उसके 2 दिन बाद गुवाहाटी में। जहां धीरे धीरे बाग़ी विधायकों की संख्या 39 तक पहुंच गई इसके अलावा निर्दलीय विधायक भी पहुंच गये। 

शिवसेना में बगावत, सीएम की कुर्सी पर फडणवीस !
इतना सब कुछ होने के बाद बीजेपी सिर्फ ये कहती रही की ये शिवसेना का अंदरूनी मामला है। साथ ही बागी विधायकों को भी ये नसीहत दी गई थी की आपको शिवसेना और बाला साहेब के बार मे कुछ भी गलत नहीं बोलना है। क्योंकि देवेन्द्र को पता था की पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकर शिवसेना बाग़ी विधायकों के खिलाफ एक्शन लेगी। लेकिन यहाँ भी फडणवीस ने शिवसेना को मात दे दी।इस पूरे घटनाक्रम के दौरान फड़नवीस केवल एक बार निकले और उज्जैन में महाकाल के दर्शन किये। बाक़ी पूरे समय वो अपने मुंबई स्थित सागर बंगले से अपने कोर टीम के सदस्यों आशीष शेल्लार, प्रवीण दरेकर के साथ शतरंज की चाल चलते रहे। 

महाराष्ट्र राजनीतिक संकट, जानें- किसने क्या खोया और किसे क्या मिला

राजनीति बड़ी क्रूर होती है। कब अपने पराए बन जाए भनक भी नहीं लगती अब उद्धव ठाकरे ये कह रहे हैं हमें तो अपनो ने मारा गैरों में कहा दम था आपको ये फ़िल्मी संवाद लग सकता है। लेकिन अब ये हकीकत बन चुका है। देवेंद्र फडणवीस ने तख्तापलट की जो स्क्रिप्ट लिखी उसने उन्हें महाराष्ट्र की सियासत का बाहुबली बना दिया है।मैं लौटकर आऊंगा, और वो 3 साल बाद दमदारी से लौटकर आ गए 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर