नई दिल्ली। कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए अभी किसी वैक्सीन या दवा का ईजाद नहीं हुआ है। लेकिन अलग अलग तकनीक के जरिए डॉक्टर्स इससे लड़ाई लड़ रहे हैं उन्हीं में से एक है प्लाज्मा थेरेपी। इस थेरेपी के जरिए दिल्ली और लखनऊ में कुछ मरीजों को फायदा हुआ है, लेकिन महाराष्ट्र से दर्दनाक खबर भी आई थी। प्लाज्मा थेरेपी के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय का भी कहना है कि इसे पुख्ता नहीं माना जा सकता है। लेकिन कुछ राज्यों में आईसीएमआर की अनुमति के बाद इस पर अमल किया जा रहा है। मध्य प्रदेश के इंदौर का एक केस है जिसमें प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोरोना को मात दे चुके एक मरीज ने अपने अनुभव को साझा किया है।
क्या कहते हैं कोरोना को मात देने वाले कपिल भल्ला
इंदौर के रहने वाले कपिल देव भल्ला अपने अनुभव को कुछ इस तरह साझा करते हैं। '' मैं अरुबिंदो अस्पताल में भर्ती था, मुझे सीने में शिकायत थी और इसके इलाज के लिए तमाम तरह को कोशिश की गई। लेकिन फायदा नहीं हुआ। 26 अप्रैल को डॉ रवि दोषी ने कहा कि उनकी टीम प्लाज्मा थेरेपी के बारे में प्लान कर रही है। मैंने सहमति दे दी, तीन दिन के अंदर मेरा इलाज प्लाज्मा थेरेपी से किया गया और मुझे लगा कि इलाज की यह पद्धति काम कर रही है। मुझे डॉ इजहार, मुंशी ने प्लाज्मा दिया था जो कुछ दिन पहले कोरोना की बीमारी से ठीक हुए थे।
400 मिली प्लाज्मा से दो मरीजों का इलाज
कपिल देव भल्ला बताते हैं कि चेस्ट में जो कंजेशन थी बो बहुत धीमे धीरे क्योर हो रही थी। लेकिन प्लाज्मा थेरेपी के बाद तेजी से आराम मिला। मुझे आक्सीजन से हटा लिया गया और 6 मई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। अब प्लाज्मा डोनर क्या कहते हैं यह भी जानना जरूरी है, डॉ इकबाल कुरैशी कहते हैं कि कोविड 19 पॉजिटिव आने के बाद वो अस्पताल में भर्ती हुए 14 दिन की अवधि के बाद उन्हें छुट्टी मिली। अस्पताल से संदेशा आया कि क्या वो प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। संदेशा मिलने के बाद वो प्लाज्मा देने के लिए तैयार हो गए। उनकी शरीर से 400 मिली प्लाज्मा निकाला गया जिससे दो मरीजों को फायदा मिला। वो कोरोना को मात दे चुके सभी मरीजों से अपील करते हैं कि वो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आगे आएं।
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