न्यूज की पाठशाला में लगी पर्यावरण की क्लास। पर्यावरण की परीक्षा का रिजल्ट आ गया है। परीक्षा का सवाल था- दिल्ली और आस-पास के इलाके की आबोहवा को कैसे सुधारेंगे? इस रिजल्ट में सबसे कम नंबर दिल्ली सरकार को मिले हैं। इस साल फिर दिल्ली में प्रदूषण है। दिल्ली सरकार ने कह दिया कि पूरी दिल्ली-एनसीआर में लॉकडाउन लगा दें। ये वैसे है कि टीचर ने कहा कि क्लास में शोर बहुत हो रहा है तो मॉनिटर ने समाधान बता दिया कि दो दिन स्कूल में छुट्टी कर देते हैं। कोई आएगा ही नहीं तो शोर भी नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार को फटकार लगी। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा दिल्ली सरकार के हलफनामे में दोष किसानों को दिया गया है। बताया गया है कि कैसे पराली जलाने से ही प्रदूषण हो रहा है। फिर चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा ने पूछा दिल्ली सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। हमें सड़कों की सफाई के बारे में बताएं। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने बताया कि दिल्ली में रोड साफ करने के लिए 69 मशीन हैं। CJI ने पूछा कि क्या 69 मशीन पर्याप्त है? दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि रोड को साफ करने वाला तंत्र MCD के अंदर आता है, MCD हलफनामा दे सकती है। CJI ने कहा कि आप दोबारा दोष MCD से सिर मढ़ रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर आप ऐसे बहानेबाजी करेंगे तो हम आपके राजस्व के ऑडिट का आदेश दे देंगे जो आप लोकप्रियता भरे नारों पर खर्च कर रहे हैं।
अब सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर मंगलवार को इमरजेंसी मीटिंग बुलाने का कहा है और उसमें जो फैसले लिए जाएंगे उस पर कोर्ट को जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली सरकार के विज्ञापन पर खर्च का जिक्र किया। प्रदूषण पर दिल्ली सरकार ने कितना खर्च किया है ये भी आपको बताते हैं। RTI के मुताबिक 7 साल में पॉल्यूशन के खिलाफ कैंपेन
56 करोड़ खर्च हुए। 2017 की RTI के मुताबिक पर्यावरण सेस से 787 करोड़ वसूले गए। दिल्ली सरकार ने खर्च किए 93 लाख रुपए।
प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। प्रदूषण की 5 बड़ी वजह सामने आई। केंद्र सरकार के हलफनामे के मुताबिक जानें कि कौन कितना जिम्मेदार है:
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