नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों की जैसे-जैसे फांसी की तारीख करीब आती है, वो नए-नए कानूनी पैंतरे आजमाने लगते हैं। चारों अलग-अलग याचिकाएं लेकर कोर्ट में जाते हैं। सोमवार को पवन गुप्ता की एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। पवन कुमार गुप्ता का दावा था कि 2012 में अपराध के समय वह नाबालिग था। पवन ने उसके नाबालिग होने का दावा ठुकराने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
दिल्ली की एक अदालत ने चारों दोषियों विनय शर्मा, मुकेश कुमार, अक्षय कुमार सिंह और पवन कुमार गुप्ता के खिलाफ मौत की सजा का नया फरमान जारी किया है। उसमें चारों दोषियों को एक फरवरी को फांसी पर लटकाने का आदेश है। पहले इन्हें 22 फरवरी को फांसी लगनी थी।
दोषियों की चाल पर निर्भया की मां आशा देवी ने कहा है, 'फांसी में देरी करने की उनकी रणनीति को खारिज कर दिया गया है। मुझे तभी संतुष्ट मिलेगी जब उन्हें 1 फरवरी को फांसी होगी। जैसे वे एक के बाद एक देरी कर रहे हैं, उन्हें एक-एक करके लटका दिया जाना चाहिए ताकि वे समझ सकें कि कानून के साथ खिलवाड़ करने का क्या मतलब है?'
उन्होंने कहा कि दोषी कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं। अपराधी मासूम लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और उनके वकील कानून का दुरुपयोग करते हैं। वे बार-बार खारिज की गई याचिकाओं को दोहरा रहे हैं। वे अदालत का समय बर्बाद कर रहे हैं। इसके बजाय किसी अन्य मामले की सुनवाई की जा सकती थी, लेकिन वे बस अदालत का समय बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें एक-एक करके फांसी दी जानी चाहिए।'
इसी तरह निर्भया के पिता ने कहा कि अपराधी कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्हें खामी मिल गई है जिसका इस्तेमाल वे अपनी मौत की सजा में देरी के लिए कर रहे हैं। निचली अदालत, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में तीन-तीन बार सुनवाई हो चुकी है। वे अभी भी किसी तरह देरी की रणनीति का उपयोग कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करना चाहिए और इसे समाप्त करना चाहिए।
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