नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को दिल्ली के द्वारका में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की नई बिल्डिंग का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। इस दौरान गडकरी बिल्डिंग निर्माण में हुई देरी को लेकर खासे नाराज दिखे और उन्होंने नकारा अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की बात कही। अपने भाषण की शुरूआत से ही उन्होंने एनएचएआई द्वारा इस निर्माण कार्य को लेकर अपनी गई कार्यशैली पर सवाल खड़े किए।
9 साल बाद पूरा हुआ काम
अपने भाषण की शुरूआत करते हुए गडकरी ने कहा, 'ऐसे कार्यक्रम में प्रथा होती है कि कोई भी काम पूरा होने के बाद उनका सबका अभिनंदन और शुभेच्छा देने की प्रथा होती है। मुझे संकोच हो रहा है कि मैं आपका अभिनंदन कैसे करूं क्योंकि 2008 में तय हुआ था कि इस प्रकार से बिल्डिंग बनेगी। 2011 में इसका टेंडर हुआ था ये दो- ढाई सौ करोड़ का काम 9 साल के बाद आज पूरा हुआ। इस काम को पूरा होने को देखने के लिए 2 सरकारें और 8 चेयरमैन लगे और उसके बाद आज ये काम पूरा हुआ। वर्तमान चेयरमैन और सदस्यों का इसके साथ संबंध नहीं है।'
ऑफिस में लगे ऐसे अधिकारियों के फोटो
अधिकारियों पर तंज करते हुए गडकरी ने मौजूदा एनएएचआई अध्यक्ष से आग्रह किया, 'चेयरमैन साहब, जिन महान हस्तियों ने 2011 से लेकर 2020 इसमें काम किया है, उनके संभव हुआ था तो उन सबके, सीजीएम और जीएम साहब के फोटो एक बार इस ऑफिस में जरूर लगा देना कि जिन्होंने 9 साल इस काम को निर्णय ना करने के कारण देरी की। कम से कम उनका इतिहास भी सामने आए। आप और हम गौरव से कहते हैं कि दिल्ली-मुंबई हाइवे हम 2 साल में पूरा करेंगे जो 80 हजार, 1 लाख करोड़ तक का है। 1 लाख करोड़ के काम के लिए अगर 3 साल या साढ़े तीन साल लगेंगे और 200 करोड़ के काम के लिए हमने 10 साल लगाए तो ये कहीं ना कहीं अभिनंदन करने वाली बात तो है नहीं।'
विषकन्या जैसे लोग
गडकरी ने माना कि उन्होंने इस काम के लिए खुद बैठक ली थी। उन्होंने कहा, 'मैंने इसके लिए 2-4 बैठकें ली थीं। अब सरकारी पद्धति के अनुसार कॉन्टेक्टर पर ब्लेम डालकर मामला एनसीएलटी में गया और एनसीएलटी में गया ऐसा कहकर एक रिपोर्ट तैयार होगी। इसमें सबसे जरूरी चीज ये है कि जो विकृत विचार वाले लोग हैं, जिन्होंने एनएचआई में काम नहीं करना, अगर करना है तो रोड़े अटकाना... ऐसे लोग भी 12-12, 13-13 साल तक चिपके हुए हैं। ये लोग मंत्रालय के सुझावों को भी नजरअंदाज करते हैं। ऐसे लोगों की विचारधार विषकन्या जैसी हैं। NHAI के अकर्मण्य, निकम्मे और भ्र्ष्ट लोग इतने पॉवरफुल हैं कि मिनिस्ट्री में कहने के बाद भी वे अपने निर्णय गलत करते हैं। ऐसे ‘अक्षम' अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का समय है।'
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