केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के बारे में कहा जाता है कि वो हर वक्त सोचते रहते हैं किस तरह से देश में राजमार्गों को जाल बिछाया जाए। किस तरह से सामूहिक सहयोग के जरिए देश की विकास गाथा को आगे बढ़ाई जाए। वो प्रत्येक मंचों पर भविष्य की योजनाओं का जिक्र तो करते ही हैं इसके साथ ऐसे प्रसंगों का जिक्र करते हैं जिस पर आमतौर पर पर्दा पड़ा रहता है। उन्होंने 1995 के एक खास प्रसंग का जिक्र किया जब उनसे महाराष्ट्र की दो बड़ी शख्सियतें बाला साहेब ठाकरे और मशहूर उद्योगपति धीरू भाई अंबानी नाराज हो गए थे।
1995 के प्रसंग का जिक्र
नितिन गडकरी 1995 का जिक्र करते हुए कहते हैं कि उस समय उनकी उम्र 36 वर्ष थी और वो महाराष्ट्र में सड़क परिवहन विभाग को देख रहे थे। मामला मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे से जुड़ा था। उन्होंने धीरू भाई अंबानी के टेंडर को खारिज कर दिया था जिसके बाद धीरू भाई अंबानी तो नाराज हुए ही, बाला साहेब ठाकरे भी खफा हुए और कहा कि यह सब क्यूं करते हो।
अब सरकार के पास आते हैं निवेशक
उनके इस काम पर तत्कालीन सीएम मनोहर जोशी भी नाराज हुए और कहा कि आगे का काम कैसे करोगे। उनके इस सवाल पर उनका जवाब साफ था कि जनता के पैसे से। वो मनोहर जोशी से वादा तो कर चुके थे। लेकिन जमीन पर उतारना आसान काम नहीं था। उन्होंने एमएसआरडीसी का गठन किया। वो और उनके एमडी निवेशकों के पास जाकर प्रजेंटेशन देते थे। वो दौर था जब हम लोग यानी सरकार निवेशकों के पास जाती थी। लेकिन अब ये दौर है कि निवेशक सरकार के पास आते हैं।
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