Nitish Kumar Politics: बिहार में इन दिनों कयासों का दौर है, चर्चाएं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर है। असल में पिछले एक महीने में नीतीश कुमार ने कई ऐसे चौंकाने वाले कदम उठाएं है। जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि नीतीश कुमार क्या करने वाले हैं। इसकी शुरूआत रमजान से हुई है। जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, इफ्तार पार्टी में करीब 5 साल बाद राबड़ी देवी के घर पहुंचे। इसके बाद जातिगत जनगणना, राज्य सभा सदस्यों के नामांकन को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
राजद नीतीश पर डाल रही है डोरे ?
जब से 2020 में एनडीए की सरकार बनी है, उसी वक्त से नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव किसी न किसी बहाने अपने पाले में लाने की कोशिश करते रहे हैं। इसके लिए वह राजनीतिक ताने के साथ-साथ पुरानी दोस्ती का हवाला देते रहे। शुरूआत इस बात को लेकर हुई कि अब नीतीश कुमार बिहार में बड़े भाई नहीं रह गए हैं। और भाजपा सबसे बड़े दल होने के बावजूद नीतीश को मुख्यमंत्री बनाकर उन्हें कमजोर कर रही है। असल में 2020 के विधानसभा चुनावों में पहली बार हुआ कि जनता दल (यू ) को भाजपा से कम सीटें मिली थी । भाजपा को 74 सीट और जनता दल (यू) को 43 सीटें मिली थीं। इसी वजह से राजद हमेशा से नीतीश कुमार को भाजपा का साथ छोड़ने को कहती रही है। और जनता के बीच ऐसा परसेप्शन बनाने की कोशिश करती रही है कि नीतीश कुमार भाजपा से परेशान हैं और वह कभी भी भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं। इस कयास को भाजपा के दूसरी पंक्ति के नेताओं के बयानों ने भी बल दिया है। जो बार-बार यह अहसास कराने की कोशिश करते रहे हैं कि नीतीश की सरकार, उनके भरोसे हैं।
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5 साल बाद इफ्तार पार्टी में पहुंचे
हाल के दिनों में नीतीश कुमार जिस तरह इफ्तार के बहाने करीब 5 साल बाद राबड़ी देवी के घर पहुंचे तो उसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या भाजपा के दबाव से परेशान नीतीश फिर से राजद का हाथ थाम सकते हैं। हालांकि इस तरह की कयासों को नीतीश हमेशा से नकारते रहे हैं। लेकिन इफ्तार के बहाने जिस तरह नीतीश पहले राबड़ी और फिर जद (यू) के इफ्तार पर तेजस्वी से मिले उससे कयासों को बल मिला है। और इस दौरान सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को 72 घंटे तक पटना में रहने के निर्देश दिए हैं।
जातिगत जनगणना लाई करीब
बिहार की राजनीति में इस समय जातिगत जनगणना भी वोटरों के बीच पैठ बनाने के लिए चर्चा का विषय है। इसीलिए तेजस्वी इस पर खूब राजनीति कर रहे हैं। और वोटरों में गलत संदेश न जाय, इस कारण नीतीश कुमार भी फूंक-फूंक कदम रख रहे हैं। इन्ही चर्चाओं के बीच नीतीश कुमार ने 27 मई को जातिगत जनगणना पर सर्वदलीय बैठक बुला दी है। इसके पहले पिछले साल नीतीश और तेजस्वी एक साथ जातिगत जनगणना को लेकर दिल्ली भी पहुंचे थे। नीतीश का रूख भाजपा के लिए बेचैन करने वाला हैं क्योंकि भाजपा ने जातिगत जनगणना का अभी खुल कर समर्थन नहीं किया है। इस बीच राज्यसभा चुनावों को लेकर भी भाजपा और नीतीश के बीच सब कुछ सामान्य नहीं होने की सामने आ रही है। बिहार से 5 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। साफ है कि बिहार की राजनीति में बहुत कुछ पक रहा है, जिसका खुलासा जल्द हो सकता है।
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