Nitish Kumar Meet Sharad Pawar: बिहार से लेकर दिल्ली तक नीतीश कुमार एक ही बात दोहरा रहे हैं कि वह पीएम पद के उम्मीदवार नहीं है। लेकिन उनकी सारी कवायद उसी दिशा में हो रही है। पटना में उनकी पार्टी जद (यू) के होर्डिंग में भी यही बात कही जा रही है। पार्टी के पोस्टर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लगे पोस्टर में बड़े-बड़े शब्दों में लिखा है कि 'प्रदेश में दिखा अब देश में दिखेगा'। जाहिर है नीतीश कुमार चाहे पीएम पद के सवाल पर प्रेस कांफ्रेंस में कुर्सी छोड़, उठ कर चले जाए लेकिन इरादा तो यही है। और इसीलिए वह विपक्ष के सभी नेताओं से मिल रहे हैं। जिसमें राहुल गांधी , अरविंद केजरीवाल से लेकर शरद पवार तक शामिल है। और बुधवार को शरद पवार के साथ मीटिंग के बाद उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वह कोई तीसरा मोर्च बनाने की कवायद नहीं कर रहे हैं, बल्कि वह मेन फ्रंट बनाना चाहते हैं।
नीतीश का कैसा होगा मेन फ्रंट
नीतीश कुमार ने बुधवार को एक बार फिर मेन फ्रंट की बात दोहराई है। इसके पहले वह पटना में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से मिलने के बाद भी मेन फ्रंट बनाने की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा है कि मेन फ्रंट के नीचे सभी पार्टी काम करेगी और इसके लिए सभी विपक्षी दल तैयार हैं। यानी उनके फ्रंट में कांग्रेस भी होगी, ममता बनर्जी भी होंगी, शरद पवार, केसीआर और अरविंद केजरीवाल भी होंगे । अगर नीतीश कुमार के दावों को सही मान लिया तो कांग्रेस को छोड़ने के बाद भी उनके मेन फ्रंट में 3-4 पीएम पद के उम्मीदवार होंगे।
मेन फ्रंट में कौन हैं पीएम पद के उम्मीदवार
अगर पीएम पद के उम्मीदवार की बात की जाय तो कम से कम तीन दलों ने अपने नेताओं के लिए खुलकर यह बात करनी शुरू कर दी है। इसमें पहला नाम खुद नीतीश कुमार का आता है, जो भले स्वीकार नहीं करते हैं लेकिन उनके पार्टी के नेता और सहयोगी दल राजद के नेता तेजस्वी यादव उन्हें पीएम मैटेरियल बता रहे हैं।
इसके अलावा दूसरा बड़ा नाम ममता बनर्जी का है। जो नीतीश कुमार की तरह ही इस साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के पहले सोनिया गांधी से लेकर शरद पवार के साथ मिलकर विपक्षी एकता की कवायद कर रही थी। उनकी पार्टी के नेता भी उन्हें पीएम मैटेरियल कहते हैं।
इसी तरह तीसरा नाम आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का है। जो इस समय सीधे भाजपा से टक्कर ले रहे हैं। पंजाब में जीत के बाद उनकी पार्टी के नेता भी अरविंद केजरीवाल को पीएम मैटेरियल बता रहे हैं।
इनके अलावा शरद पवार की दबी इच्छा भी किसी से छिपी नहीं है। उनके पार्टी के नेता भी यह बाते उठाते रहे हैं, और उन्हें यूपीएम का अध्यक्ष बनाने की भी मांग करते रहे हैं।
मेन फ्रंट एक दर्जन पार्टी लेकिन किसी के पास 50 सीट जीतने का दम नहीं
कांग्रेस जिस तरह भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत कर रही है। उसे देखते हुए इस बात की बेहद कम संभावना है कि वह ऐसे किसी फ्रंट में शामिल होगी, जिसमें उसका नेता पीएम पद का उम्मीदवार न हो। क्योंकि अभी भी वह इकलौती ऐसी पार्टी है जो भाजपा को 200 से ज्यादा लोक सभा सीटों पर सीधे टक्कर दे सकती है। और सबसे खराब प्रदर्शन के बाद भी वह 50 सीट जीत लेती हैं। लेकिन ऐसी क्षमता नीतीश के बनने वाले मेन फ्रंट में किसी और दल की नहीं है। और न ही ये देल अपने राज्य को छोड़कर दूसरे राज्य में वोट प्रभावित कर सकते हैं।
नीतीश की कवायद अगर मूर्त रूप लेती है तो मेन फ्रंट में कांग्रेस के अलावा एनसीपी, आम आमदी पार्टी, राजद, सपा, टीआरएस, टीएमसी, डीएमके,कम्युनिस्ट पार्टी, जेडी (एस), हम, जद (यू) और शिव सेना शामिल हो सकती हैं।
अब अगर इन पार्टियों की ताकत देखी जाय तो सभी अपने राज्यों तक सीमित हैं। और इनमें महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में ही सबसे ज्यादा लोक सभा सीटें हैं। जिसमें महाराष्ट्र में 48 और पश्चिम बंगाल में 42 सीटें हैं। और इसके बाद तमिलनाडु में 39 लोक सभा सीट है। वैसे तो भी यूपी में भी 80 सीट हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी की 2017 के प्रदर्शन को देखते हुए 50 सीटें जीतना बेहद मुश्किल नजर आता है। और आज तक उसने अपने चुनावी इतिहास में कभी 50 सीटें नहीं जीती है। वह 2004 के लोक सभा चुनाव में सबसे ज्यादा 35 सीट आज तक जीत पाई है।
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