पटना : जद-यू नेता पवन वर्मा के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी में रहते हुए इस तरह का पत्र नहीं लिखा जाता है। पार्टी के व्यक्ति के इस तरह के पत्र पर कोई जवाब नहीं दिया जाता है। बता दें कि पार्टी प्रवक्ता वर्मा ने सीएए पर जद-यू की वैचारिक स्पष्टता जानने के लिए नीतीश कुमार को पत्र लिखा है। नीतीश ने इस पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए ये बातें कहीं।
नीतीश ने कहा, 'इसको कहते हैं पत्र? कोई आदमी पार्टी का रहता है और पत्र लिखता है, देता है? तब ना उसका जवाब होता है। इसे पत्र कहते हैं...ई-मेल पर भेज दीजिए कुछ और प्रेस में जारी कर दीजिए!' वर्मा ने गुरुवार को कहा कि वह नागरिकता संशोधन विधेयक पर पार्टी के वैचारिक रुख को जानना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
वर्मा ने कहा कि नीतीश कुमार वैचारिक स्पष्टता के पक्षधर रहे हैं और उनकी इस सोच का स्वागत करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जद-यू प्रवक्ता सीएए पर पार्टी के रुख से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि पार्टी सीएए का समर्थन कर रही है लेकिन एनआरसी के विरोध में हैं। इसलिए वे इस पर पार्टी का रुख जानना चाहते हैं। वर्मा का कहना है कि वह अपने पत्र का जवाब मिलने के बाद अपनी आगे की रणनीति के बारे में विचार करेंगे।
वर्मा के इस बयान के बाद नीतीश कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया में पवन वर्मा का नाम लिए बगैर कहा कि 'जिसकी जहां मर्जी हो वह जा सकता है।' नीतीश का इशारा पवन वर्मा की तरफ था। दरअसल, सीएए के समर्थन के मसले पर जद-यू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर भी अपनी असहमति जाहिर कर चुके हैं। समझा जाता है कि जद-यू आने वाले दिनों में वर्मा और पीके पर कार्रवाई कर सकती है। संसद में सीएबी को समर्थन देने पर दोनों नेताओं ने पार्टी के रुख पर सवाल उठाए थे।
बता दें कि बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां इस बार मुख्य मुकाबला कांग्रेस-राजद गठबंधन और भाजपा-जदयू के बीच होगा। भाजपा कह चुकी है कि वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। चुनाव का समय नजदीक आते देख सभी पार्टियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है।
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