नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन की डोज को लेकर कई तरह की बातों के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को इस पर स्थिति स्पष्ट की। साथ ही वैक्सीनेशन के दौरान दो अलग-अलग वैक्सीन से होने वाली समस्या को लेकर भी आगाह किया और कहा कि इसके प्रभावी होने को लेकर भारत में फिलहाल पर्याप्त वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं।
इन खबरों के बीच कुछ लोगों के लिए वैक्सीन की एक डोज ही पर्याप्त है, केंद्र ने स्पष्ट किया कि वैक्सीनेशन के दो डोज को लेकर नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल के मुताबिक, 'कोविशील्ड के निर्धारित डोज में कोई बदलाव नहीं होगा। इसका दो डोज ही होगा। कोविशील्ड के पहले डोज के बाद इसका दूसरा डोज 12 सप्ताह के बाद दिया जाना है।'
उन्होंने कहा कि वैक्सीन के डोज को लेकर यही बात कोवैक्सीन पर भी लागू होती है। इस वैक्सीन की भी दो डोज लेनी जरूरी है। इसकी दूसरी डोज 4-6 सप्ताह में लेनी है।' उन्होंने स्पष्ट किया कि कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर SOP में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
उनकी यह टिप्पणी उन खबरों के बीच आई है कि भारत की योजना ऐसी व्यवस्था का परीक्षण करने की है, जो दो अलग-अलग टीकों के इस्तेमाल और एक खुराक के प्रभाव से संबंधित है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि भारत 'कुछ सप्ताह में' ऐसे परीक्षण शुरू कर सकता है कि क्या दो अलग-अलग कोविड टीकों को मिलाने से वायरस से प्रतिरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है।
डॉ. पॉल ने यह भी कहा कि वैक्सीन की दो डोज लेने के दौरान एक ही वैक्सीन लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दो अलग-अलग वैक्सीन की डोज को मिलाना खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी कुछ भी ठोस वैज्ञानिक जानकारी नहीं आई है। कुछ रिसर्च के आधार पर जहां अलग-अलग वैक्सीन की दो डोज को इम्युनिटी बढ़ाने वाला बताया गया है, वहीं इससे होने वाले जोखिम से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, 'यह एक वैज्ञानिक मामला है और जब तक इसका हल नहीं हो जाता, हम कहेंगे कि यह एक अनसुलझा वैज्ञानिक प्रश्न है, जिसके संबंध में हमारे कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं हुआ है।'
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