CAG रिपोर्ट में हुआ खुलासा- नोएडा में जमीन बांटने में हुई बंदरबांट, सरकार को हुआ 2,833 करोड़ का नुकसान

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Updated Dec 18, 2021 | 10:58 IST

CAG की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं। दिल्ली से सटे नोएडा में 2008-11 के दौरान लाई गई फार्महाउस योजना में हुई बंदरबांट से सरकारी खजाने को 2833 करोड़ का नुकसान हुआ है।

NOIDA allotted farmhouses in 'questionable' manner, loss of Rs 2,833 crore to exchequer: CAG
Noida:जमीन बांटने में हुई बंदरबांट, सरकार को हुआ बड़ा नुकसान 
मुख्य बातें
  • नोएडा प्राधिकरण की फार्महाउस योजना संदेहास्पद: कैग
  • 478 पेज की यह रिपोर्ट शुक्रवार को विधान परिषद के पटल पर रखी गई
  • 3,100 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से प्लॉट दिए गए जबकि जबकि न्यूनतम दर 14,400 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी

नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा में वर्ष 2008-11 के दौरान लाई गई फार्महाउस योजना को राज्य सरकार की जरूरी मंजूरी नहीं थी और इस योजना में संदेहास्पद ढंग से आवंटन किए जाने से सरकारी खजाने को 2,833 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक (कैग) की शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश रिपोर्ट में नोएडा फार्महाउस योजना पर कई गंभीर सवाल उठाए गए। इसमें नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा प्राधिकरण) की नीतियों में कई गड़बड़ियों का भी जिक्र किया गया है।

सीएजी रिपोर्ट में सामने आई बड़ी बातें

यह रिपोर्ट नोएडा प्राधिकरण की नीतियों, नियोजन, भूमि अधिग्रहण, संपत्तियों के आवंटन और आंतरिक नियंत्रण में कई खामियों को भी रेखांकित करती है। इसके मुताबिक प्राधिकरण की इन कमियों से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। करीब 500 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में वर्ष 2005 के बाद के दौर की समीक्षा की गई है। सीएजी की इस रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर नोएडा प्राधिकरण ने कहा कि उसने अभी इस रिपोर्ट का अध्ययन नहीं किया है। प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु माहेश्वरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'अतीत में रही आवंटन से संबंधित खामियां अब दुरूस्त की जा रही हैं। मसौदा रिपोर्ट में उठाए गए कुछ बिंदुओं से हम सहमत थे जबकि कुछ बिंदुओं पर प्राधिकरण ने जवाबी तथ्य भी रखे थे। अंतिम रिपोर्ट का अभी अध्ययन किया जाना बाकी है।'

मानकों का पालन नहीं

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की वरिष्ठ अधिकारी माहेश्वरी ने कहा कि रिपोर्ट के अध्ययन के बाद सरकार से मिले निर्देशों के अनुरूप कदम उठाए जाएंगे। सीएजी ने फार्महाउस प्लॉट के आवंटन पर कहा है कि वर्ष 2008-11 के दौरान ऐसी दो योजनाएं लाई गई थीं जिनमें 157 आवेदकों को 18.37 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र की जमीन आवंटित की गई। लेकिन सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों फार्महाउस योजनाएं पूर्व-अनुमति एवं निर्धारित प्रक्रिया के बगैर ही लाई गई थीं। रिपोर्ट कहती है, "फार्महाउस की श्रेणी उत्तर प्रदेश सरकार की भवन नियमन संबंधी अनुमति के बगैर ही जोड़ दी गई थी।'

इसके मुताबिक, ये दोनों योजनाएं प्राधिकरण की क्षेत्रीय योजना के अनुरूप नहीं थीं जिसमें रिहायशी क्षेत्र से दूर फार्महाउस के विकास की बात कही गई थी। इसके साथ ही कैग ने फार्महाउस प्लॉट के लिए आरक्षित मूल्य कम रखने को लेकर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट कहती है, 'नोएडा प्राधिकरण ने किसानों से जमीन खरीदी और कंपनियों के दफ्तरों वाले एक विकसित इलाके से सटकर फार्महाउस के प्लॉट आवंटित कर दिए।'

कई गुना सस्ते दिए गए प्लॉट

 कैग ने अपनी रिपोर्ट में फार्महाउस प्लॉट की दरें बहुत कम रखे जाने पर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट कहती है, 'बाजार दर के हिसाब से भुगतान की क्षमता रखने वाले आवंटियों को भी 3,100 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से प्लॉट दिए गए जबकि वर्ष 2008-09 में न्यूनतम दर 14,400 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी।'  रिपोर्ट में कहा गया है कि इतनी कम दर पर प्लॉट आवंटित किया जाना काफी संदेहास्पद है और इससे आवंटियों को 2,833 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ हुआ जिससे प्राधिकरण को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। उसने प्लॉट का आवंटन भी पारदर्शी तरीके से नहीं होने की बात कही है।

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