oida Twin Tower Demolition Process in Hindi: दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक डेवलपर्स के अवैध ट्विन टावर फिलहाल अपने अंतिम दिन गिन रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, रविवार (28 अगस्त, 2022) को इन्हें ढहा दिया जाएगा। कुतुब मीनार से ऊंचे ये टावर आसपास के रिहायशी इलाके की इमारतों से काफी करीब हैं। ऐसे में यह कौतुहल का विषय है कि इन्हें किस तरह से गिराया जाएगा, ढहाने के बाद आगे क्या होगा और इसके इर्द-गिर्द की पूरी क्या प्रक्रिया है? आइए, जानते हैं:
जब एक साथ ढहेंगे 40 मालों पर बने 1000 फ्लैट
बताया जाता है कि सुपरटेक के ट्विन टावर, सुपरटेक के एमरल्ड कोर्ट से महज नौ मीटर दूर हैं। लगभग 100 मीटर ऊंचे इन टावर में करीब 1000 फ्लैट हैं और 40 माले हैं। ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि जब ये टावर्स गिरेंगे तब क्या होगा, क्या इनकी चपेट में कोई और इमारत या एरिया आएगा? सबसे पहली बात को ध्वस्तीकरण से पहले आसपास में लोगों को सुरक्षित या अन्य जगहों पर शिफ्ट होने के लिए कह दिया जाता है। गाड़ियां आदि भी वहां से हटवा दी जाती हैं।
...तो इस तरह गिरेंगे ये ट्विन टावर
दरअसल, ये टावर्स अंदर की तरफ गिरेंगे। सरल तरीके से समझें तो न इधर-न उधर...सिर्फ अंदर। गिरने या ढहने पर बाहर की तरफ इनका मलबा नहीं फैलेगा। यह एक तरह से नियंत्रित विस्फोट (कंट्रोल्ड ब्लास्ट) होगा। यानी वहां जब डेमॉलिशन होगा, तब एक धमाके में टावर नहीं गिरेंगे बल्कि एक के बाद एक विस्फोट होंगे (किसी पटाखे की लड़ी या चटाई की तरह, पर धमाके जोरदार होंगे) और उसके बाद इमारत गिरेगी।
मलबे के निस्तारण पर खड़ा हो सकता है संकट?
ब्लास्ट के लिए बिल्डिंग में विस्फोटक लगाए जाते हैं। फिर कई स्तर पर चेक-अप और टेस्टिंग होती है। जानकारी के मुताबिक, ब्लास्ट का यह प्रोसेस वैज्ञानिक (साइंटिफिक) तरीके से अंजाम दिया जाएगा। सिर्फ इन ट्विन टावर के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक यूज (इमारत में फिट किए जा चुके हैं) किए गए। हालांकि, वहां धमाके के बाद सबसे बड़ा सवाल 55,000 टन के मलबे का निस्तारण करने को लेकर पैदा हो सकता है।
साउथ अफ्रीकी कंपनी संग मिल मुंबई की फर्म संभाल रही काम
मुंबई स्थित कंपनी ‘एडिफिस इंजीनियरिंग’ दक्षिण अफ्रीका की अपनी साझेदारी कंपनी ‘जेट डिमोलिशंस’ के साथ मिलकर ध्वस्तीकरण का जिम्मा संभाल रही है, जो उसके लिए दुनिया में सिविल इंजीनियरिंग के सबसे बड़े कारनामों में से एक है। कंपनी के अधिकारी उत्कर्ष मेहता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सभी विस्फोटकों में धमाका होने में नौ से 10 सेकंड का वक्त लगेगा और धमाके की जोरदार आवाज आएगी। धमाकों के बाद इमारतें एक बार में नहीं गिरेंगी और उन्हें पूरी तरह मलबे के ढेर में तब्दील होने में चार से पांच सेकंड का वक्त लगेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘धूल का गुबार छंटने में लगभग 10 मिनट का वक्त लगेगा।’’
मराडु से लेकर ये इमारतें की जा चुकी हैं ध्वस्त
एडिफिस इंजीनियरिंग इससे पहले केरल के मराडु में अवैध रिहायशी इमारतों, तेलंगाना के सचिवालय और केंद्रीय कारागार और गुजरात में पुराना मोटेरा स्टेडियम ध्वस्त करने का जिम्मा उठा चुकी है। परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि ध्वस्तीकरण में इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटकों में डेटोनेटर्स, रासायनिक मिश्रण और शॉक ट्यूब शामिल हैं, जिनमें ‘जेल’ या पाउडर रूप में विस्फोटक सामग्री होती है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ये विस्फोटक बहुत प्रभावशाली नहीं होते हैं लेकिन जब इन्हें बड़ी तादाद में इस्तेमाल किया जाता है तो ये कंक्रीट को तोड़ सकते हैं।’’
SC ने बताया बताया था अवैध, कहा था- तोड़े गए नियम
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक के इन ट्विन टावरों को ध्वस्त किया जा रहा है। न्यायालय ने इन इमारतों को अवैध करार दिया तथा कहा कि नियमों का उल्लंघन करके इनका निर्माण किया गया है। परियोजना के अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए आकलन के अनुसार, एपेक्स (32 मंजिला) और सियान (29 मंजिला) इमारतों के ध्वस्त होने से तकरीबन 35,000 घन मीटर मलबा और धूल का गुबार पैदा होगा, जिसका निपटान किया जाना होगा।
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