2022 में यूपी की सत्ता पर कौन काबिज होगा। क्या बीजेपी दोबारा सत्ता में आएगी या सत्ता का ताज बीएसपी या समाजवादी पार्टी के सिर सजेगा। इन सवालों के जवाब गर्भ में हैं। लेकिन बीएसपी ने राम नगरी अयोध्या से ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए चुनावी आगाज किया और इसके साथ काशी और मथुरा में ब्राह्मण सम्मेलन का फैसला किया है। अयोध्या में बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने संदेश दिया कि ब्राह्मण समाज की प्रतिष्ठा और पूंछ सिर्फ बीएसपी के शासन काल में ही कायम थी।
13 और 26 फीसद के मिलन पर जोर
अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन में बीएसपी महासचिव ने जय श्रीराम, जय परशुराम और जय भीम का नारा लगाया। उन्होंने आंकड़ों के जरिए बताया कि 13 फीसद ब्राह्मण और 23 फीसद दलित समाज एक साथ आ जाए तो बीएसपी को सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों में एकजुटता ना होने की वजह से यूपी में आज क्या हो रहा है सब लोग देख रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विकास दुबे केस में नाबालिग खुशी दुबे का क्या दोष है, उसके मां और बाप कानपुर की जेल में बंद हैं तो उसे बिना वजह बाराबंकी में रखा गया है।
सामाजिक दायरा बढ़ाने की कवायद
अयोध्या में सतीश चंद्र मिश्रा ने जय श्रीराम के नारे का इस्तेमाल किया। इस विषय में जानकार कहते हैं कि अब यह नारा प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर सभी दलों को लेना पड़ेगा। राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में अब कोई बहुसंख्यक समाज को नाराज करने की जोखिम नहीं उठा सकता है, लिहाजा इस तरह के नारे अब गैर बीजेपी दलों की तरफ से सुनाई देंगे। जहां तक बात बीएसपी की है तो उसके रणनीतिकारों को लगता है कि पार्टी को अपने सामाजिक दायरा बढ़ाना होगा।
क्या कहना है कांग्रेस का
ये बात अलग है कि अयोध्या में बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन पर कांग्रेस ने निशाना साधा। कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बीएसपी जातिवादी राजनीति के अलावा और कौन सा काम करती रही है। बीएसपी सुप्रीमों मौजूदा सरकार की नीतियों के खिलाफ कभी मुखर नहीं रही है। जनता इस तरह की मानसिकता वालों को समझती है और आने वाले चुनाव में जवाब जरूर देगी।
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