नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण पिछले कुछ महीनों में हर क्षेत्र के लोगों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा है। ऐसा ही कुछ हाल वकीलों का है। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद वकीलों को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलने से नाराज होकर एक वकील ने ओडिशा हाई कोर्ट के बाहर बैठकर अपनी दुर्दशा को उजागर करने के लिए सब्जियां बेचीं। उन्होंने आरोप लगाया है कि बार काउंसिल द्वारा घोषणा के बावजूद अधिवक्ताओं को कोई राहत पैकेज नहीं मिला है।
सपन पाल के रूप में पहचाने गए वकील ने कहा कि सरकार ने बंद के दौरान सभी को वित्तीय सहायता देने का वादा किया था, लेकिन जरूरतमंद वकीलों को कोई मदद नहीं दी गई। उन्होंने पूछा, 'अधिवक्ताओं के परिवार कैसे जीएंगे? वे बिना किसी आय के भोजन कैसे खरीदेंगे?'
'क्या पत्नी और बच्चों को जहर दूं'
वकील ने कहा कि तालाबंदी को तीन महीने हो चुके हैं लेकिन हमें किसी से कोई सहायता नहीं मिली है। हम और हमारे परिवार कैसे जीएंगे? क्या मैं अपने बच्चों और पत्नी को जहर दूंगा? मुझे जीवित रहना है इसलिए मैंने सब्जियां बेचना शुरू कर दिया है। पाल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उनकी सारी बचत खत्म हो गई और उन्होंने सब्जियों की बिक्री शुरू करने के लिए अपने दोस्त से 1,000 रुपए का ऋण लिया। पाल ने कहा कि उन्होंने बार काउंसिल के कार्यालय के बाहर सब्जियां बेचने का फैसला किया क्योंकि वह एक मजबूत संदेश भेजना चाहते थे।
5 अप्रैल को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने ओडिशा स्टेट बार काउंसिल इमरजेंसी फाइनेंशियल असिस्टेंस रूल्स, 2020 को मंजूरी दी थी। इसमें कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान वित्तीय सहायता की आवश्यकता वाले वकीलों को 10,000 रुपए देने की अनुमति दी। काउंसिल ने 10 मई तक राज्य भर के विभिन्न बार एसोसिएशनों के वकीलों से फंड के लिए आवेदन मांगे।
OSBC सचिव जेके सामंतसिंह ने बताया, 'ओडिशा के विभिन्न बार एसोसिएशनों के वकीलों से कुल 15,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं। महामारी के कारण कर्मचारियों की कमी के कारण प्रक्रिया पूरी होने में देरी हुई है। कॉर्पस फंड द्वारा कुल 32 लाख रुपए एकत्र किए गए हैं।'
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