राजभर को क्यों बार-बार याद आ रही हैं मायावती, इस फॉर्मूले से अखिलेश को लगेगा झटका !

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jul 26, 2022 | 20:03 IST

Om Prakash Rajbhar Politics: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के पिछले कुछ दिनों के बयानों को देखा जाय तो वह कई बार यह इशारा कर चुके हैं कि वह अपने अति पिछड़े वोट बैंक के साथ दलित और मुसलमानों को एक साथ लाना चाहते हैं।

Om Prakash Rajbahr and Mayawati
सुुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर 
मुख्य बातें
  • पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर का अति पिछड़ो में मजबूत वोट बैंक हैं। पू्र्वांचल में 17-18 फीसदी राजभर मतदाता हैं।
  • उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी दलित और 21 फीसदी मुस्लिम मतदाता है।
  • 2022 के विधान सभा चुनावों में सुभासपा को सपा के साथ गठबंधन रहते हुए 6 सीटें मिली हैं।

Om Prakash Rajbhar Politics:ओम प्रकाश राजभर ने आज से 40 साल पहले जहां से राजनीति शुरू किए थे, लगता है एक बार फिर से उस मुहाने पर पहुंच गए हैं। पिछले कुछ दिनों से उनके बयानों से साफ है कि उनको अपना पुराना दल बार-बार याद आ रहा है। असल में राजभर इस समय बार-बार मायावती की तारीफ कर रहे हैं। और वह खुलकर यह भी बयान दे चुके हैं कि वह 2024 के लोक सभा चुनावों के लिए मायावती के साथ हाथ मिलाना चाहते हैं। हालांकि अभी तक मायावती के तरफ से इस गठबंधन को लेकर कोई बयान नहीं आया है। लेकिन उनके भतीजे आकाश आनंद ने राजभर का नाम लिए बिना उन्हें इशारों-इशारों में अवसरवादी कह दिया है। लेकिन अंदरखाने यह भी हकीकत है कि राजभर की बसपा के नेताओं से पिछले दिनों इस मसले को लेकर बातचीत हुई है।

क्या चाहते हैं राजभर

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के पिछले कुछ दिनों के बयानों को देखा जाय तो वह कई बार यह इशारा कर चुके हैं कि वह अपने अति पिछड़े वोट बैंक के साथ दलित और मुसलमानों को एक साथ लाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने यहां तक कहा है कि पूर्वांचल में उनके दल की मजबूती और बसपा उनके साथ जुड़ जाएगी तो बसपा और मजबूत बनकर उभरेगी। 2022 के विधान सभा चुनावों में सुभासपा को सपा के साथ गठबंधन रहते हुए 6 सीटें मिली हैं।

 जब से आजमगढ़ और रामपुर लोक सभा के उप चुनावों में अखिलेश यादव और आजम खां के गढ़ में समाजवादी पार्टी की हार हुई है। उसके बाद से ही राजभर को यह लगता है कि अगर वह अखिलेश के साथ आगे बने रहते हैं तो उनके लिए 2024 में मजबूत स्थिति दर्ज कराना मुश्किल होगा। ऊपर आजमगढ़ उप चुनाव में भले ही बसपा जीत नहीं पाई है लेकिन  जिस तरह बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को 2.66 लाख के करीब वोट मिले ,उससे साफ हो गया कि मायावती को दलित और मुस्लिम वोट अभी भी मजबूत है। जबकि अखिलेश यादव की लगातार चुनावों में हार और पार्टी के अंदर ही मुस्लिम नेताओं के विरोध ने उन पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं।

इस फॉर्मूले पर भरोसा

पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर का अति पिछड़ो में मजबूत वोट बैंक हैं। पू्र्वांचल में 17-18 फीसदी राजभर मतदाता हैं। और प्रदेश की 25 ज्यादा लोक सभा सीटें हैं। इसीलिए राजभर, मुस्लिम और दलित वोट बैंक को अति पिछड़े वर्ग के साथ लाकर मजबूत दावेदारी पेश करना चाहते हैं। क्योंकि उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी दलित और 21 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। और अगर राजभर मायावती के साथ जुड़ते हैं, तो इस वोट बैंक पर गठबंधन बड़ी दावेदारी कर सकता है। और इसका सबसे ज्यादा नुकसान अखिलेश यादव को हो सकता है। खैर राजभर का राजनीतिक इतिहास ऐसा है कि वह भाजपा, सपा, बसपा किसी से परहेज नहीं करते हैं और 2024 की लड़ाई में समय है। इसलिए उनका फाइनल ठिकाना क्या होगा इसका अभी इंतजार करना होगा।

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