उमर अब्दुल्ला और महबूबा पर लगा पब्लिक सेफ्टी एक्ट , मुफ्ती की करीबी ने कहा- यह कर्मों की सजा है

देश
किशोर जोशी
Updated Feb 06, 2020 | 23:33 IST

जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया है। दोनों ही नेता इस समय नजरबंद हैं।

Omar Abdullah, Mehbooba Mufti booked under Public Safety Act
उमर अब्दुल्ला और महबूबा पर लगा पब्लिक सेफ्टी एक्ट  
मुख्य बातें
  • जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर लगा पीएसए
  • दोनों नेता पिछले वर्ष पांच अगस्त के बाद से ऐहतियातन हिरासत में रखे गए थे
  • जम्‍मू-कश्‍मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही ये दोनों नेता चल रहे हैं नजरबंद

श्रीनगर: पिछले 6 महीने से नजरबंद चल रहे जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला पर प्रशासन ने जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) लागू किया गया है। दोनों ही नेता राज्य में आर्टिकल 370 हटाने के बाद से नजरबंद चल रहे हैं और दोनों नेताओं को 6 महीने ऐहतियातन हिरासत में लिए जाने की अवधि गुरुवार को समाप्त हो रही थी। इस एक्ट के लागू होने के बाद से इन दोनों नेताओं को बिना ट्रायल के तीन से 6 महीने की जेल भी हो सकती है। उमर के पिता तथा नैशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला पहले से ही पीएसए के तहत बंद हैं।

पीएसए लगाने के बाद महबूबा मुफ्ती के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट भी किया गया है। इस अकाउंट को उनकी बेटी इल्तीजा चलाती हैं।  मुफ्ती पर पीएसए लगाए जाने की जानकारी देते हुए ट्वीट में लिखा गया, ' कुछ समय पहले मुफ्ती पर पीएसए लगा दिया है। इस तानाशाही सरकार से राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए जैसा कठोर कानून लगाने की उम्मीद कर सकते हैं, जिसने 9 साल के बच्चे पर भी देशद्रोही टिप्पणी के लिए केस किया हो। देश के मूल्यों को अपमान किया जा रहा है, ऐसे में हम कब तक दर्शक बने रहेंगे।'

 अपनी मां के हैंडल से एक ट्वीट में इल्तिजा ने कहा "ठीक 6 महीने पहले अधिकारियों ने मेरी माँ को ले लिया था। दिन हफ्तों और महीनों में बदल गए हैं। फिर भी, कश्मीर में राजनीतिक नेतृत्व अवैध हिरासत में है। यह एक सरकारी दुःस्वप्न है।' कभी महबूबा मुफ्ती की करीबी रही और महिला आयोग की पूर्व चेयरपर्सन नायमा मेहजूर ने पीएसए लगाने पर कहा कि यह कर्मों की सजा है। नायमा यहां मसर्रत आलम का जिक्र कर रही थी जिस पर उमर और महबूबा शासनकाल के दौरान  पीएसए लगाया गया था।

आपको बता दें कि सुरक्षा और शांति के लिए खतरा माने जाने वाले लोगों पर सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगाया जा सकता है। 1978 में शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को लागू किया था जिस पर 2010 में संशोधन किया गया था जिसके तहत बिना किसी ट्रायल के किसी शख्स को कम से कम 6 महीने तक जेल में रखा जा सकता है।

 

 

 

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