सुप्रीम कोर्ट में इस समय सीलबंद लिफाफे का मसला सुर्खियों में है। दरअस छत्तीसगढ़ सरकार के नागरिक आपूर्ति निगम में कथित तौर भ्रष्टाचार के मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी कर रहे थे और अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम को्ट को सौंपी है। इसके साथ छत्तीसगढ़ सरकार की भी तरफ से सीलबंद रिपोर्ट अदालत को दिया गया है। अब इस मामले में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ईडी और छत्तीसगढ़ सरकार की जांच रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। बता दें कि ईडी ने गुहार लगाई है कि सीएम छत्तीसगढ़ भूपेश बघेल के हस्तक्षेप को देखते हुए इस पूरे केस को राज्य से बाहर ट्रांसफर कर दिया जाए।
आर्टिकल 32 के तहत ईडी की अर्जी
चीफ जस्टिस यू यू ललित की पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं। , ने निर्देश दिया कि सीलबंद लिफाफे में सामग्री न्यायाधीशों के आवासीय कार्यालयों को भेजी जाएगी, और मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह भी जांच करें कि क्या ईडी जैसी एजेंसी अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर कर सकती है या नहीं।
बीजेपी सरकार के दौरान का घोटाला
नागरिक आपूर्ति निगम( NAN) घोटाला 2015 में छत्तीसगढ़ में पिछली भाजपा सरकार के दौरान सामने आया था जब विपक्ष ने सिस्टम में घटिया चावल की अनुमति देकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। NAN खाद्यान्न के वितरण और खरीद की प्रभारी एजेंसी है। तत्कालीन सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जांच शुरू की जिसने एनएएन के तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सहित कई अधिकारियों पर आरोप लगाया।
एसआईटी कर रही है जांच
दिसंबर 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ दिनों के भीतर ही सीएम बघेल ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की घोषणा की। जल्द ही NAN के दो अधिकारी जो चार्जशीट दायर होने के बाद से फरार थे अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया। उन्हें नई सरकार में भी नियुक्त किया गया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी, जिसे ईडी ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी इसके अलावा छत्तीसगढ़ के बाहर जांच और मुकदमे के हस्तांतरण के लिए एक रिट याचिका दायर की।
ईडी की दलील
ईडी का कहना है कि दोनों मुख्य आरोपी व्यक्ति पर्याप्त राजनीतिक और प्रशासनिक शक्ति रखते हैं और माननीय मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ राज्य के बहुत करीब हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में बहुत वरिष्ठ विधि अधिकारी, एसआईटी के सदस्यों और छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से, उक्त अभियोजन एजेंसी और एसआईटी से अनुकूल रिपोर्ट प्राप्त करके उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के अपराध को कमजोर किया है।
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