नई दिल्ली : विपक्ष ने चीनी ऐप्स को बैन करने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। वाम पंथी नेता डी राजा ने मंगलवार को कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या चीन के ऐप्स पर बैन लगाने से देश का उद्देश्य पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वाम पंथी दलों का मानना है कि मौजूदा गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच शीर्ष स्तर पर वार्ता होनी चाहिए। वाम पंथी नेता ने कहा, 'हम डिजिटल तकनीक की दुनिया में रहते हैं। ऐसे में चीन के ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने से सरकार का उद्देश्य कितना पूरा होगा।'
सौगत राय ने भी उठाए सवाल
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने पूछा कि चीन के ऐप्स सभी के मोबाइल फोन में हैं ऐसे में सरकार इन पर रोक कैसे लगा सकती है। उन्होंने कहा, 'भाजपा जिंगोइज्म में विश्वास करती है जबकि हम राष्ट्रवाद में विश्वास करते हैं। भाजपा को चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए हमारी जमीन वापस लानी चाहिए।' वामपंथी नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हमारे नक्शे की सुरक्षा करनी थी लेकिन उन्होंने चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाकर जवाब दिया है।
चीन के खिलाफ सरकार ले रही आर्थिक फैसले
बता दें कि चीन पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम करते हुए केंद्र सरकार ने हाल के दिनों में कई बड़े फैसले लिए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका कमजोर करने और उसे धीरे-धीरे समाप्त करने की दिशा में सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनियों का 402 करोड़ रुपए का ठेका निरस्त किया है। महारष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ हुए 5000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव को रोक दिया है।
महाराष्ट्र सरकार ने चीनी निवेश रोका
इससे पहले बीएसएनएल ने अपना 4जी नेटवर्क अपग्रेड करने के लिए अपनी निविदा प्रक्रिया में बदलाव किया जिससे कि चीनी कंपनियां ठेके के दौड़ से बाहर हो गईं। अब सरकार की तरफ से ऐप्स पर प्रतिबंध लगाकर चीन को कड़ा संदेश दिया गया है। यही नहीं इस दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार ने गूगल को अपने प्ले स्टोर से बैन की गईं 59 चीनी ऐप्स हटाने के लिए कहा है। प्ले स्टोर से इन ऐप्स के हट जाने के बाद कोई भी इन्हें दोबारा अपलोड नहीं कर पाएगा।
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