नई दिल्ली : अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के बाद पेगासस का मसला एक बार फिर भारतीय राजनीति में तूल पकड़ता दिख रहा है। विपक्ष ने इसे लेकर केंद्र पर हमला तेज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि पेगासस स्पाइवेयर भारत और इजरायल के बीच 2017 में हुई एक डील का अहम हिस्सा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है तो अन्य विपक्षी दलों ने भी इस पर सवाल उठाए हैं।
पेगासस को लेकर न्यूयार्क टाइम्स की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जबकि दो दिन बाद ही 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है। ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा इस मसले को जोरशोर से उठाने और इस पर हंगामे के भी पूरे आसार हैं। राहुल गांधी ने इस अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्विटर पर लिखा, 'मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। ये देशद्रोह है। मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।'
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इस मसले को लेकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भी सरकार पर निशाना साधा और 'भारतीय नागरिकों के खिलाफ सैन्य श्रेणी के स्पाईवेयर के इस्तेमाल' का आरोप लगाते हुए जवाबदेही तय करने की मांग उठाई तो बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सवाल किया कि क्या यह 'वाटरगेट' कांड जैसा है? उन्होंने ट्वीट किया, 'मोदी सरकार को न्यूयॉर्क टाइम्स के खुलासे को खारिज करना चाहिए। इजरायली कंपनी NSO ने 300 करोड़ रुपये में पेगासस बेचा। प्रथम दृष्टया यह लगता है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और संसद को गुमराह किया है। क्या यह वाटरगेट है?'
यहां गौर हो कि 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' की जिस रिपोर्ट पर पेगासस को लेकर भारतीय राजनीति में एक बार फिर कोहराम मचा हुआ है, उसमें कहा गया है कि भारत और इजरायल के बीच 2017 में दो अरब डॉलर एक एक डील हथियारों और खुफिया उपकरणों को लेकर की गई थी, जिसके केंद्र में एक मिसाइल प्रणाली के साथ-साथ इजराइली स्पाइवेयर पेगासस भी था।
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इसे लेकर पिछले साल उस समय विवाद पैदा हुआ था, जब भारत सहित कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और अन्य लोगों की जासूसी के लिए कुछ सरकारों द्वारा कथित तौर पर NSO समूह के पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की बात सामने आई थी। कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के एक संगठन ने कई भारतीय नेताओं, मंत्रियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कारोबारियों और पत्रकारों के खिलाफ पेगासस के इस्तेमाल का दावा किया था। मामला कोर्ट तक भी पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में इसकी जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का ऐलान भी किया था।
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