विपक्षी जो कृषि सुधारों पर चिल्ला रहे हैं सरकार में थे तो क्या किया, पीएम नरेंद्र मोदी के तीखे सवाल

गुजरात की धरती से पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधारों का मुद्दा उठाया और विपक्ष से सवाल पूछा कि आखिर वो लोग जब सत्ता में थे तो किसानों के लिए कहां थे।

विपक्षी जो कृषि सुधारों पर चिल्ला रहे हैं सरकार में थे तो क्या किया, पीएम नरेंद्र मोदी के तीखे सवाल
पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधारों पर विपक्ष के रवैये पर उठाए सवाल 
मुख्य बातें
  • गुजरात में पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधारों का किया जिक्र
  • विपक्ष पर सवाल उठाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकार में रहते हुए क्या किया
  • कृषि सुधारों की दिशा में हम धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं।

 नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को एक दिन के गुजरात दौरे पर थे। कच्छ इलाके में उन्होंने कई परियोजनाओ का शिलान्यास किया और गुजरात की धरती से किसानों के मुद्दे पर विपक्ष से सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि हर एक शख्स को नीतियों पर सवाल उठाने का हक है। लेकिन उन लोगों को देखना होगा कि जब वो सरकार में थे तो क्या कुछ किया था।

किसानों को गुमराह कर रहे हैं विपक्षी
आज जो लोग विपक्ष में बैठे हैं और किसानों को गुमराह कर रहे हैं, वे अपने सरकार के दौरान इन कृषि सुधारों के पक्ष में थे। वे अपने सरकार के दौरान निर्णय नहीं ले सके। आज जब राष्ट्र ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है तो ये लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में कृषि सुधारों में किसान निकायों और यहां तक कि विपक्ष भी पूछ रहे हैं। भारत सरकार हमेशा किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और हम किसानों को आश्वासन देते रहेंगे और उनकी चिंताओं का समाधान करेंगे।

किसानों को भड़काने की कोशिश में है विपक्ष
पीएम मोदी ने कहा कि सच तो यह है कि किसानों के दिल और दिमाग में जो शंकाए हैं उन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है। सरकार किसा पूर्वाग्रह के साथ किसानों से बात नहीं कर रही है। हम सब चाहते हैं कि अगर किसी संगठन को कृषि कानूनों के किसी भी क्लॉज पर आपत्ति है तो अपने सुझावों को सामने रख सकते हैं। लेकिन सच तो यह है कि किसानों को विपक्ष भड़काने की कोशिश कर रहा है।

अपनी मांग पर अड़े हुए हैं किसान 
बता दें कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसान संगठनों की समस्याओं और उनके प्रस्तावों पर विचार करने के लिए खुले मन से तैयार है। लेकिन किसान संगठन अपने इरादों को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि जब तक नए कृषि कानूनों को पूरी तरह हटा नहीं लिया जाता है तो विरोध जारी रहेगा।

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